मृतक अ‍ाश्रित के तौर पर मिलेगी विवाहित बेटियों को भी नौकरी : हाईकोर्ट

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  • नैनीताल हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

नैनीताल । क्या विवाहित पुत्री परिवार का सदस्य है ?, क्या मृत आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी पाने की हकदार है या नहीं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को चार न्यायाधीशों की लार्जर बेंच के लिए भेज दिया था। इस पर निर्णय पूर्व में मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली लार्जर बेंच ने निर्णय को सुरक्षित रख लिया था। मामले में बुधवार को हाई कोर्ट ने मृतआश्रित कोटे में शामिल विवाहित पुत्रियों को सरकारी नौकरी दिए जाने के मामले में अहम फैसला देते हुए मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली लार्जर बेंच ने विवाहित पुत्री को परिवार का सदस्य माना है। वहीं कोर्ट ने साफ किया कि वह भी पुत्र की तरह मृत आश्रित कोटे में नौकरी दिए जाने का अधिकार रखती है।

गौरतलब हो कि चमोली निवासी सन्तोष किमोठी ने याचिका में कहा था कि उनके पिता ने सेवाकाल के दौरान ही उनकी शादी कर दी थी शादी के कुछ समय के बाद ही उनकी आकस्मिक मौत हो गयी। पैतृक गृह में पिता के अलावा कोई वरिष्ठ व्यक्ति कमाई नहीं करने के कारण उनकी देखभाल के लिए मृत आश्रित कोटे की नौकरी उनको दिए जाने की याचिका दायर की गयी थी। जिसमें माननीय हाई की एकलपीठ ने सरकार को आदेश दिये थे कि विवाहित पुत्रियों को भी सरकारी नौकरियों में परिवार की देखभाल के लिए मृत आश्रित कोटे की नौकरी दी जाय।

जिसके खिलाफ सरकार ने विशेष अपील दायर की। इस एकलपीठ के आदेश को मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुनवाई हेतु लार्जर बेंच को रेफर कर दिया था- कि विवाहित पुत्रियों को सरकारी नौकरियों में नौकरी दी जाय या नही ? जिस पर आज मुख्य न्यायधीश की लार्जर खण्डपीठ ने सुनवाई करते हुए निर्णय को सुरक्षित रख लिया है। मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की फुल बेंच में हुई जिसने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया है।

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