उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महाधिवेशन में पारित हुए कई प्रस्ताव

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  • राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की  बुरी तरह से लूट

  • अभी तक परिसम्पतियों का न्यायोचित बँटवारा नहीं

  • करोड़ों रूपये व्यय करने के बावजूद राज्य में डॉक्टरों की आज भी कमी

  • अविलम्ब राज्य में एक सशक्त लोकायुक्त की स्थापना की मांग 

देहरादून । उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के चतुर्थ द्विवार्षिक महाधिवेशन में पार्टी ने कई अहम प्रस्ताव पारित किये हैं। पार्टी के केन्द्रीय प्रधान महासचिव एपी जुयाल ने बताया कि राज्य गठन के पश्चात अब तक सत्तासीन रही सभी सरकारों ने बाहरी माफियाओ एवं स्थानीय प्रभावशाली एवं भ्रष्ट राजनेताओं के साथ मिलकर राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की  बुरी तरह से लूट की व राज्य को कंगाल बनाने का कार्य किया है।
महाधिवेशन में कहा गया कि सरकार इस प्रकार की लूट खसोट पर अविलम्ब रोक लगाए तथा अब तक किये गए घोटालों की निष्पक्ष जांच की जाए। उनका कहना है कि राज्य गठन के 17 साल पूर्ण होने को हैं परन्तु अभी तक उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच अभी तक परिसम्पतियों का न्यायोचित बँटवारा नहीं हो पाया है। केंद्र, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सभी जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद अभी तक न्यायोचित बँटवारा नहीं हुआ। इसके विपरीत लाभ की परिसम्पतियां उत्तर प्रदेश के अधिकार में हैं, जबकि घाटे की परिसम्पतियाँ उत्तराखंड को सौंपी गई हैं। अतः अविलम्ब बंटवारे में की गई विसंगतियों को दूर करते हुए उत्तराखंड को उसका स्वाभाविक अधिकार दिया जाये। अब तक सत्तासीन रही सरकारों ने भूमाफियाओं, खनन व शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ कर राज्य की परिसम्पतियों, जमीनों, खनिजों का दोहन कर राज्य को आर्थिक रूप से कंगाल कर दिया है। अतः अब तक के सभी प्रकरणों की निष्पक्ष जांच की जाये।

वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार ने भ्रष्टाचारियों को संरक्षण प्रदान कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का ही काम किया है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की सरकार में लोकायुक्त का श्रेय लेने वाली भाजपा ने लोकायुक्त को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अतः अविलम्ब राज्य में एक सशक्त लोकायुक्त की स्थापना की जाये। राज्य में शिक्षा व्यवस्था चैपट है। पिछले 17 वर्षों में कोई भी सरकार ठोस शिक्षा नीति नहीं बना पाई। अतः इंटरमीडिएट स्तर तक सामान, पारदर्शी शिक्षा नीति बनाई जाए तथा छोटे से राज्य में बेतहाशा निजी विश्वविद्यालयों पर रोक लगाईं जाये। विद्यालयों को मान्यता देने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाये कि वह संस्था आवश्यक संसाधनों  व कर्मचारियों को निर्धारित वेतन आदि के मानक पूरे करते हों, इसकी समीक्षा की जाये। राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा चुकी है। चिकित्सालयों में पर्याप्त डॉक्टर नहीं है और दवाई व अन्य आवश्यक मशीनों व उपकरणों का अत्यंत अभाव है। डॉक्टर मरीजों को अपने कमीशन के चलते ब्रांडेड दवाई लिखते है जबकि जेनेरिक दवाई लिखने के निर्देश हैं।

चिंता जताई गयी कि करोड़ों रूपये व्यय करने के बावजूद राज्य में डॉक्टरों की आज भी कमी है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत जारी किये गए हेल्थ कार्ड भी निष्प्रभावी है। किसी भी अस्पताल में इस योजना का लाभ मरीजों को नही मिल पा रहा है। अतः सरकार इसकी समीक्षा कर शीघ्र ही प्रभावकारी कार्यवाही करे तथा स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापारीकरण पर प्रतिबंध लगायें। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमराई हुई हैं।

जंगली जानवरों, आवारा पशुओं, सुअरों व बंदरों के आतंक के चलते किसान गाँव छोड़कर शहरों की और पलायन कर रहे हैं। अतः सरकार  चकबंदी के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित कर ठोस पहल करे जिससे किसानों को लाभ हो तथा पलायन पर रोक लग सके। हिमालय क्षेत्र में बड़े बांधों का निर्माण अत्यंत संवेदनशील तथा खतरनाक है, जिसके चलते लाखों लोगों को अपने घर बार छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ता है। टिहरी बाँध हमारे समक्ष एक ज्वलंत उदाहरण है, जिसके विस्थापितों को अभी तक भी विस्थापन की सुविधा, पुनर्वास व अन्य सुविधाएं प्राप्त नहीं हुई है। अतः पंचेश्वर में जबरन बनाए जा रहे बड़े बाँध का हम पुरजोर विरोध करते है। यह उत्तराखंड की जनभावनाओं का घोर अपमान है। अतः हम मांग करते हैं कि पंचेश्वर बाँध के निर्माण की प्रक्रिया अविलम्ब बंद की जाये। कंडी मार्ग उत्तराखंड के कुमाऊं-गढ़वाल को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है। इसके बनने के फलस्वरूप लगभग 80 किमी. की दूरी कम होगी। यात्रा समय में 3 घंटे की कमी होगी, व्यापारियों को उत्तर प्रदेश से होकर नहीं जाना पड़ेगा जिससे उन्हें कई प्रकार के करों से राहत मिलेगी तथा लाखों रूपये के डीजल, पेट्रोल की बचत होगी।