मंगसीर की बग्वाल की तैयारियां जोर-शोर से चल रही

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  • मंगसीर बग्वाल को मनाने की परंपरा गढ़वाल में है प्रचलित
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
उत्तरकाशी । गंगा घाटी और गाजणा घाटी में मंगसीर की बग्वाल (दीपावली) मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बग्वाल के उत्सव का अपना अलग महत्व है। 
इतिहास के जानकार बताते हैं कि मंगसीर की बग्वाल गढ़वाली सेना की तिब्बत पर विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस बार यह उत्सव 6 और 7 दिसंबर को मनाया जाएगा। उत्तरकाशी में इसके लिए खास तैयारियां भी की गई हैं। इस बार पुरानी वस्तुओं की प्रदर्शनी बग्वाल उत्सव में खास होगी।
जानकारों के अनुसार सन 1627-28 के बीच गढ़वाल नरेश महिपत शाह के शासनकाल के दौरान जब तिब्बती लुटेरे गढ़वाल की सीमाओं के अंदर आकर लूटपाट करते थे, तो राजा ने माधो सिंह भंडारी व लोदी रिखोला के नेतृत्व में चमोली के पैनखंडा और उत्तरकाशी के टकनौर क्षेत्र से सेना भेजी थी। सेना विजय करते हुए दावाघाट (तिब्बत) तक पहुंच गई थी।
कार्तिक मास की दीपावली के लिए माधो सिंह भंडारी घर नहीं पहुंच पाए थे। तब उन्होंने घर में संदेश पहुंचाया था कि जब वह जीतकर लौटेंगे, तब ही दीपावली मनाई जाएगी। युद्ध के मध्य में ही एक माह पश्चात माधो सिंह अपने गांव मलेथा पहुंचे। तब उत्सव पूर्वक दीपावली मनाई गई। तब से अब तक मंगसीर के माह इस बग्वाल को मनाने की परंपरा गढ़वाल में प्रचलित है।