जल विद्युत परियोजनाओं के आधुनिकीकरण के नाम पर लग रहा चूना !

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  • विधानसभा में UJVNL ने  रखी गोल-मोल रिपोर्ट !
  • नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के नाम पर सरकार को किया गुमराह !
  • परियोजनाओं के आधुनिकीकरण पर एक बार फिर 1729 करोड़ खर्च  का प्रस्ताव !

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून: राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से उत्तराखंड जल विद्युत निगम प्रदेश में तीन मेगावाट से 340 मेगावाट के विभिन्न 13 हाइड्रोप्रोजेक्ट का संचालन करता रहा है। इतना ही नहीं इन परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण के नाम पर निगम पिछले कई वर्षों से  करोड़ों रुपये इन परियोजनाओं पर खर्च करते हुए सरकार को पलीता लगाता रहा है। निगम के अनुसार इनमें से 77 प्रतिशत परियोजनाएं 35 साल से अधिक पुरानी हैं। लिहाजा निगम का फोकस अब इन परियोजनाओं के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण पर है। इसके लिए निगम ने योजना बनाई है। जिस पर लगभग 1729.72 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान बताया गया है।

विधानसभा में बुधवार को पेश की गई वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए यूजेवीएनएल की 16वीं वार्षिक रिपोर्ट में पुरानी जलविद्युत परियोजनाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि यूजेवीएनएल अपने विभिन्न पुराने संयंत्रों, बैराजों के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण की योजना बना रहा है। इनमें ऐसे संयत्र और बैराज हैं, जो 35 साल से अधिक पुराने हैं। निगम के अनुसार पुराने होने के कारण अब इनकी परिचालन दक्षता में कमी आई है। जिन परियोजना के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण की योजना निगम ने बनाई है, उसमें प्रमुख रूप से 51 मेगावाट की ढालीपुर, आसन बैराज, डाकपत्थर बैराज, इछाड़ी बांध, 304 मेगावाट की मनेरी भाली द्वितीय, 144 मेगावाट की चीला, 90 मेगावाट की मनेरीभाली प्रथम, 41.4 मेगावाट की खटीमा और 39.75 मेगावाट की ढकरानी परियोजनाएं शामिल हैं।

इन योजनाओं के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए निवेश की अनुमति मिल चुकी है। जबकि वर्तमान में 144 मेगावाट की चीला जलविद्युत परियोजना के आधुनिकीकरण और नवीनीकरण का कार्य भेल द्वारा किया जा रहा है जिसका इस रिपोर्ट में कहीं भी उल्लेख नहीं है।  मतलब साफ़ है निगम जहाँ एक तरफ सरकार को गुमराह कर सरकार को ही करोड़ो का चूना लगा रहा है वहीं निगम के आला आधिकारी नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के नाम पर अपनी जेबें भरने पर जुटे हुए हैं।  रिपोर्ट में इस बात का कहीं  भी  उल्ल्लेख नहीं   किया गया है कि निगम ने राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक कितनी परियोजनाओं के  नवीनीकरण और आधुनिकीकरण पर खर्च किये और उसके बाद परियोनाओं में कितने फीसदी बिजली उत्पादन में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं एक जानकारी के अनुसार चीला जलविद्युत परियाजना के  नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए निगम द्वारा ऑस्ट्रिया की एक नामी -गिरामी कंपनी जिसको जलविद्युत परियोजनाओं के  नवीनीकरण और आधुनिकीकरण में दक्षता प्राप्त है और निविदा में एल -1 होने के बाद कैसे बाहर किया गया निगम के आला धिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। 

विधानसभा में रखी गयी इस गोल-मोल रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आपदा से परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा है। इस वजह से परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन और इससे मिलने वाला राजस्व प्रभावित हुआ है। साथ में 77 फीसद स्थापित परियोजनाएं 35 साल से अधिक पुरानी हैं। इन संयंत्रों की परिचालन दक्षता में कमी आई है। रिपोर्ट में यह गंभीर स्थिति भी रखी गई है कि सहायक उपकरणों, सुरक्षात्मक रिले और नियंत्रण उपकरणों की स्थिति बिगड़ गई है। लिहाजा कंपनी ने इन योजनाओं की मरम्मत, नवीनीकरण के लिए योजना बनाई है। इस पर 1729.72 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही इन पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में कई निजी कंपनियों ने हाइड्रो पॉवर जनरेशन के व्यवसाय में प्रवेश किया है। भविष्य में कई बिजली संयत्रों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए इन परियोजनाओं का आधुनिकीकरण और नवीनीकरण जरूरी है।

रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख नहीं है कि जब राज्य सरकार द्वारा उक्त परियोजनाओं के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए सरकार की स्वीकृति नहीं मिली है तो चीला जल विद्युतगृह का कैसे नवीनीकरण और आधुनिकीकरण का कार्य किया जा रहा है।  मामला तो केवल अभी चीला जल विद्युत गृह के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण का सामने आया है इसके अलावा विधानसभा में प्रस्तुत इस रिपोर्ट में अन्य कितनी जलविद्युत परियोजनाओं का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के नाम पर खाई -बाड़ी की जा रही है इसका कहीं उल्लेख नहीं है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि चीला जलविद्युत गृह के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के नाम पर सरकार को करोड़ों का चूना लगाते हुए आला अधिकारियों ने अपनी जेबें भरी हैं लिहाज़ा माले की सीबीआई जांच की जानी जरूरी है। 

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