डबल इंजन की सरकार का प्रभाव अब आने लगा नज़र

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  • केन्द्र ने खोला उत्तराखंड के लिये खजाने के द्वार 
  • प्रदेश के बजट में केंद्र ने की 655 प्रतिशत की वृद्धि

देहरादून : उत्तराखंड में पहले से ही संसाधनों की कमी है, जबकि जून 2013 में आई केदारनाथ त्रासदी ने सूबे की माली हालत को और खस्ता कर दिया। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद आयी डबल इंजन की  सरकार में केन्द्र ने राज्य को झोली खोलकर इमदाद दी है। इन दस महीनों में त्रिवेन्द्र सरकार ने कई उपलब्धियां हासिल कर डबल इंजन की कहावत को चरितार्थ करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिये हैं। खुद मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी कह रहे हैं कि केन्द्र की मदद से उत्तराखंड को विकास के नये पंख लगने वाले हैं।

केंद्र से मिल रही मदद से उत्साहित मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश के बजट में 655 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो लोग डबल इंजन की सरकार की तरह तरह से आलोचनायें करते थे अब उनके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड से जो वादा किया था सूबे को अब उससे भी ज्यादा मदद मिल रही है। वहीँ राज्य सरकार केन्द्र  की मदद के साथ ही यह कोशिश कर रही है कि राजस्व जुटाने की दिशा में हर संभव प्रयास किये जायें जिससे विकास को और रफ्तार दी जा सके।

उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार का जुमला यूं ही चर्चा में नहीं है। दरअसल पिछले दस महीने के दौरान उत्तराखंड को केन्द्र से भी करोड़ों की परियोजनाओं में मदद मिली है, जिससे ये जुमला अब पहाड़ में हिट हो रहा है, हालांकि सरकार के सामने इस बजट को सही तरीके खर्च करने की चुनौती भी कुछ कम नहीं है। 18 मार्च 2017 को त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सत्ता संभालते ही देवभूमि उत्तराखंड में डबल इंजन वाली सरकार का जुमला चर्चित हो गया गया। इस जुमले के पीछे तर्क दिया गया कि केन्द्र में पहले से भाजपा की सरकार है और उत्तराखंड में भी सरकार बन गई है ।

मुख्यमंत्री के अनुसार केंद्र सरकार ने आठ महीने में लगभग 8हज़ार करोड़ के प्रस्ताव मंजूर किये हैं जबकि अभी  4 हज़ार  करोड़ रुपये पर्यटन, उच्च शिक्षा और ऊर्जा के लिये मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही केंद्र ने पेयजल और सीवरेज से जुड़े 9सौ  करोड़ रुपये के दो प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी है। वहीँ हरिद्वार में 750 करोड़ भूमिगत केबल के लिये केन्द्र की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। इसके साथ ही एमएसएमई के लिये भी 7 सौ  करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर केन्द्र राज्य सरकार की मदद करने को तैयार है। वहीँ आपदा प्रबंधन और तकनीकि शिक्षा के लिये भी करोड़ों रुपये की इमदाद मिलने की राज्य के मुख्यमंत्री को उम्मीद है।