भारत ने यूएन में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से पहले दी चीन को मात, भारत की लगातार तीसरी जीत

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भारत को कमीशन ऑफ स्टेटस ऑफ वीमेन (Commission on Status of Women) के सदस्य के रूप में चुना गया

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
वाशिंगटन : भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हुए चुनाव में चीन को शिकस्त दी है। महासभा की ऐतिहासिक 75वीं सत्र की शुरुआत की पूर्व संध्या पर संयुक्त राष्ट्र में भारत ने चुनावी जीत का हैट्रिक बनाई। कोरोना वायरस के चलते सत्र पहली बार वर्चुअली होने जा रही है।  भारत को संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) की एक प्रतिष्ठित संस्था यूनाइटेड नेशन के कमीशन ऑफ स्टेटस ऑफ वीमेन (Commission on Status of Women) के सदस्य के रूप में चुना गया है।  इस सदस्य के लिए हुए चुनाव में भारत ने चीन को हराया। इस पद का कार्यकाल चार साल के लिए है।
इसके साथ ही भारत ने आर्थिक और सामाजिक परिषद की अन्य निकाय- कमेटी फॉर प्रोग्राम एंड को-ऑर्डिनेशन और कमिशन ऑन पोपुलेशन एंड डेवलपमेंट की दो अन्य सीटें समर्थन के माध्यम से जीती। कार्यकाल 2021 में शुरू होगा जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना दो साल का कार्यकाल अस्थायी सदस्य के रूप में शुरू करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सोमवार को ट्वीट कर इस बात की घोषणा करते हुए कहा, “भारत विश्व निकाय की आर्थिक और सामाजिक परिषद की प्रतिष्ठित शाखा पर जीत दर्ज की है। भारत को यूनाइटेड नेशन के कमीशन ऑफ स्टेटस ऑफ वीमेन का सदस्य चुना गया है। यह लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता के हमारे सभी प्रयासों का एक महत्वपूर्ण समर्थन है।”
इसके बाद दो अन्य निकाय चुनावों के बारे में संयुक्त राष्ट्र में तैनात स्थाई उप-प्रतिनिधि के. नागराज नायडू ने ट्वीट करते मंगलवार को हुए कहा, भारत ने तीन आर्थिक और सामाजिक निकायों पर जीत दर्ज की है। एशिया-प्रशांत समूह से भारत, अफगानिस्तान और चीन CWS की रेस में थे। आर्थिक और सामाजिक परिषद की सभी 54 सदस्यों की वोटिंग से अफगानिस्तान और भारत को 39 और 38 वोट मिले। जबकि चीन को सिर्फ 27 वोट ही मिल पाया और 28 की कट ऑफ टैली में एक वोट से रह गया।
अन्य देश जो इससे होकर गुजरे हैं वो है- अर्जेंटिना, ऑस्ट्रिया, डोमिनिकन रिपब्लिक, इजरायल, लातविया, नाइजीरिया, तुर्की और जाम्बिया। सीडब्ल्यूएस के बारे में कहा जाता है कि यह प्रमुख वैश्विक अंतर सरकारी निकाय है। यह अपनी वेबसाइट पर कहता है कि ये लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के प्रमोशन के लिए खासतौर पर समर्पित है। आर्थिक और सामाजिक परिषद के तौर पर यह जून 1956 में अस्तित्व में आया।

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