आखिर कितनी बार बनेगी दरोगाओं के प्रमोशन की नियमावली ?

कहीं 'आंखों के तारों' को फायदा पहुंचाने के लिए तो नहीं बदली जा रही नियमावली ! 

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PHQ आखिर क्यों सरकार की कराना चाह रहा है किरकिरी ?

नियमावली बनाने वालों की काबलियत पर उठ रहे सवाल!

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून  : उत्तराखंड में पिछले लम्बे समय से दरोगाओं के प्रमोशन को बनी नियमावली पर विवाद चल रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठकर सामने आ रहा है कि आखिर कितनी बार बनेगी दरोगाओं के प्रमोशन की नियमावली या पुलिस के तमाम आला अधिकारी आखिर कब तक इस नियमावली में संशोधन करवाते रहेंगे ? जबकि नियमावली के लम्बे समय से लटक जाने के चलते दरोगाओं और इंस्पेक्टरों में अंदरखाने रोष पनपे जाने की खबर है जिससे पुलिस हेड क्वाटर भी अनविज्ञ भी नहीं है। 

सूत्रों की मानें तो पुलिस मुख्यालय में बैठा एक अधिकारी कहीं अपने ”आँख के तारे” को येन-केन -प्रकारेण फायदा पहुंचाने के लिए पिछले लम्बे समय से नियामवली को लेकर बहुत ही सक्रिय बताया जा रहा है। यही कारण है कि बार-बार नियमावली बदलवाने की कोशिश जारी है जबकि तमाम अनुभवी पुलिस अधिकारियों के मुख्यालय में होते हुए नियमावली बनाने वालों की काबलियत पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। 

वहीं पुलिस मुख्यालय में इस बात की भी चर्चा आम है कि नियमावली बदलवाने की कोशिश में जुटे अधिकारी जब नियमावली बन रही थी तब कहाँ कुम्भकर्णी नींद सोए थे, तब क्यों नहीं उन्होंने इन खामियों को उठाकर उसी समय इसे बदलने की कवायद शुरू नहीं की।

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गौरतलब हो कि बीती 22 जुलाई को निमावली को लेकर गृहविभाग की बैठक में मुख्यमंत्री से नियमावली को लेकर साफ़ -साफ़ कहकर यह सन्देश देने की कोशिश की है कि उन्हें सब पता है कि पुलिस मुख्यालय में नियमावली को लेकर क्या ”खेल”चल रहा है लिहाज़ा उन्होंने पुनः सोच विचारकर दोबारा गृह विभाग की बैठक में नियमावली  को ठीक से सामने रखने के निर्देश दिए थे।

वहीँ इस बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुलिस में इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टरों की सेवा नियमावली को लेकर चल रहे विवाद पर पुलिस के आलाधिकारियों की बात को न मानते हुए नियमावली का व्यापक अध्ययन करने की जहां बात की है वहीं मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को साफ कहा कि नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान न हो जिससे प्रदेश की कानून-व्यवस्था का जिम्मा उठा रहे पुलिस कर्मियों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़े।