मैनेजर प्रेम प्रकाश राणा ने कैसे कब्जाया मधुवन आश्रम और कैसे बन बैठा परमानन्द दास जानिए ……

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मधुवन आश्रम ट्रस्ट की सम्पति खुर्द-बुर्द करने का मामला 

गज़ब : ड्राईवर ने कहा और बन बैठा महाराज 

बैंक मैनेजरों की भी मिलीभगत का आरोप 

सकते में है जांच कर रही पुलिस 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

ऋषिकेश : कहानी कुछ अजीब सी है एक रेस्टौरेंट चलाने वाला मैनजर आखिर कैसे किसी मंदिर ट्रस्ट का मालिक बन सकता है और वह भी बिना ट्रस्टियों को विश्वास में लिए या ट्रस्ट की बैठक के बिना कैसे ट्रस्ट की संपत्ति पर कब्जा कर सकता है ? शिकायत मिलने के बाद उत्तराखंड पुलिस भी यह कारनामा देख सकते में हैं और ऋषिकेशवासी भी जो उसे करोड़ों की सम्पति वाले मधुबन आश्रम का असल मालिक समझने लगे थे, लेकिन अब मामले की पर्त -दर-पर्त खुलने का इंतज़ार है और आरोपियों के जेल की सलाखों के भीतर जाने का भी इंतज़ार ताकि भविष्य में कोई भी किसी से विश्वासघात न कर सके।

इस कहानी का एक और रोचक पहलू यह भी है कि ट्रस्ट द्वारा भक्तियोग स्वामी की मृत्यु के बाद किसी को भी आश्रम का महाराज नहीं बनाया गया जबकि प्रेम प्रकाश राणा उर्फ़ परमानन्द का कहना है उसे भक्तियोग स्वामी के निधन से पूर्व उनके ड्राईवर सुनील शर्मा द्वारा यह बताया गया कि स्वामी भक्तियोग द्वारा यह कहा गया कि मेरे निधन के बाद प्रेम प्रकाश राणा उर्फ़ परमानंद को आश्रम का महाराज नियुक्त किया जाय। जबकि ट्रस्ट के अपने कायदे -कानून हैं कि बिना ट्रस्ट की अनुमति के कोई ही ट्रस्ट की संपत्ति पर कब्जा नहीं कर पायेगा। 

बीते दिनों मामला तब खुला जब इस्कॉन न्यू वृंदावन ईस्ट ट्रस्ट ने मुनिकीरेती स्थित मधुवन आश्रम को ट्रस्ट की संपत्ति अपनी होने का दावा किया। ट्रस्टियों ने आरोप है कि आश्रम में महाराज परमानंद आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने आश्रम की छवि खराब होने का आरोप भी लगाया है।

ट्रस्टी हेमंत ठाकुर ने कहा कि मधुवन आश्रम में कुप्रबंधन के कारण संस्था की छवि खराब होने के साथ आश्रम आने वाले भक्तों की संख्या में भारी कमी आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वामी भक्तियोग के निधन के बाद परमानंद राणा से परमानन्द दास बने एक ने वित्तीय लाभ से प्रभावित होकर स्वयं को आश्रम का महाराज घोषित किया। जिसे न्यासी बोर्ड से स्वीकृति ही नहीं मिली।

उन्होंने बताया कि ट्रस्ट के रिकार्ड में डा. नरेन्द्र देसाई, ऋषिकेश मफतलाल, आर.के. माहेश्वरी, डा. रवि खतान्हार, एसपी माहेश्वरी, राजेश तलवार के नाम दर्ज है। लेकिन ट्रस्ट ने भक्तियोग स्वामी की मृत्यु के बाद किसी को भी आश्रम का महाराज नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि आश्रम में दान में आने वाली धनराशि का भी गबन किया गया। जिस पर ट्रस्टियों ने बैंक खाते प्रीज करवाये। बैंक खाते बंद होने के बाद आश्रम के प्रबंधक परमानन्द राणा अपने साथियों के साथ मिलकर जिला कॉपरेटिव बैंक में निजी खाता खोलकर उसमें दान की राशि जमा करवाई जा रही है। जिसकी तहरीर भी पुलिस को दी गई है। इस्कॉन न्यू वृदांवन के ट्रस्टी आरके माहेश्वरी, डा. रवि खातान्हार, हेमंत ठाकुर, रविंन्द्र माल्लया समेत अन्य मौजूद थे।

अब आपको बताते हैं कि ऋषिकेश स्थित इस्कान न्यू वृन्दावन ईस्ट ट्रस्ट मधुबन आश्रम कैसे और कहां बना। मिली जानकारी के अनुसार यह ट्रस्ट गौडीय वैष्णव परम्परा अंतर्गत वर्ष 1966 में कोलकाता निवासी कृष्ण कृपा मूर्ति भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित किया गया। वर्ष 1977 में स्वामी प्रभुपाद द्वारा समाधि लिए जाने के बाद उनके शिष्यों द्वारा इस्कान का कार्य देखा जाने लगा। वर्ष 1987 में किर्तनानंद स्वामी प्रभुपाद के एक नेता जो उस समय इस्कान के गुरु थे उन्हें मुख्य ट्रस्टी बोर्ड से इतर काम करने के आरोप के चलते इस्कॉन से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद किर्तानानंद स्वामी और उनके शिष्यों ने एक अलग गुट बनाया जिसे अमेरिका में न्यू बृन्दावन और भारत में इस्कॉन न्यू बृन्दावन ईस्ट के नाम से जाना जाने लगा।

इसके बाद किर्तानानंद स्वामी के मुम्बई निवासी उद्योगपतियों के साथ मिलकर 28 मई 1986 को इस्कॉन न्यू बृन्दावन ट्रस्ट का गठन किया गया और पंजीकृत किया गया जिसने वर्ष 1988 में ऋषिकेश में सम्पति खरीदी और 1989 में भक्तियोग स्वामी को न्यासी बोर्ड की तरफ से सम्पति पर मंदिर आदि बनाने के लिए ट्रस्टी नियुक्त किया गया।

भक्तियोग स्वामी के 12 अप्रैल 2017 को निधन के बाद आश्रम के कर्मचारी प्रेम प्रकाश राणा उर्फ़ परमानन्द दास ने उक्त सम्पति पर कब्जा करने की नियत से खुद को आश्रम का महाराज बना डाला। इतना ही नहीं प्रेम प्रकाश राणा उर्फ़ परमानन्द दास पर आरोप हैं कि उन्होंने आश्रम का मूल बैंक खाता बंद करवाकर कई अन्य बैंकों में फर्जी अंक खाते खुलवाए हैं जिनमें बैंक मैनेजरों की भी मिलीभगत साफ़ तौर पर सामने आ रही है।

आज भी चैरिरटी कमिश्नर ऑफिस, मंबई की अनुसूची -1 (Schedule-1 ) के रिकॉर्ड में सभी छह ट्रस्टी डॉ.नरेन्द्र देसाई, ऋषिकेश मफतलाल, आर.के.महेश्वरी, डॉ. रवि खतान्हार, एस.पी.महेश्वरी और राजेश तलवार के नाम दर्ज हैं और ये सभी ट्रस्ट के अधिकृत ट्रस्टी हैं।लेकिन बैंकों के मैनेजरों ने बैंको में खाता खुलवाते समय यह भी नहीं देखा कि खाता खुलने में कम से कम दो ट्रस्ट के सदस्यों के हस्ताक्षर जरुरी हैं , इससे बैंक मैनेजरों की नियत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

इसी मामले में 14 अगस्त 2019 को प्रेम प्रकाश राणा उर्फ़ परमानन्द , हर्ष कुमार कौशल , राजू बजाज , ओम प्रकाश राणा और सुनील शर्मा के विरुद्ध अमानत में खयानत, धोखाधड़ी, और कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज हुआ है जिन पर जांच चल रही है।

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