देश के उच्च न्यायालयों में हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं का हो उपयोग : संसदीय समिति

0
832

नयी दिल्ली  : हाईकोर्टों में हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग की वकालत करते हुए संसद की एक समिति ने कहा है कि संविधान में इस संबंध में केंद्र को पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं और इसके लिए न्यायपालिका से सलाह करने की जरूरत नहीं है।

अभी देश में सुप्रीम कोर्ट और 24 हाईकोर्टों में अंग्रेजी में कार्यवाही होती है और आदेश भी अंग्रेजी में दिए जाते हैं। केंद्र सरकार को कलकत्ता, मद्रास, गुजरात, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक हाईकोर्टों में क्रमश: बांग्ला, तमिल, गुजराती, हिंदी और कन्नड़ के उपयोग के संबंध में प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। हालांकि इन सभी प्रस्तावों को 11 अक्तूबर 2012 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने खारिज कर दिया था।

विधि एवं कार्मिक विभाग पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अंग्रेजी के अलावा अन्य अनुसूचित भाषा के हाईकोर्टों में उपयोग की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि इस बारे में संबंधित राज्य सरकारें मांग करती हैं। संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लेख करते हुए समिति ने कहा कि न्यायपालिका के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया जरूरी नहीं है।

समिति ने सरकार से इस बारे में जुलाई 2016 के मसौदा कैबिनेट नोट पर जल्द निर्णय करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि या तो 1965 में मंजूर कैबिनेट के विचार पर पुनर्विचार किया जाए या उसे जारी रखा जाए। 21 मई 1965 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक विचार को मंजूर किया गया था, जिसके बाद किसी हाईकोर्ट में भाषा में बदलाव के बारे में न्यायपालिका से विचार-विमर्श किया जाता है।