- :आईएमआई की सातवीं समिट सोलन में सम्पन्न
- :उत्तराखंड के सबसे अधिक डेलीगेट्स ने की शिरकत
अजय रावत अजेय,
सोलन (हिप्र)। एकीकृत हिमालयन पहल की 3 दिवसीय सातवीं से शलूनी विवि सोलन में सम्पन्न हो गयी। इस समिट में भविष्य में हिमालयी किसानों की बेहतरी के लिए अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। नतीजा रहा कि हिमालयी किसानों को बचाये बिना हिमालय के अस्तित्व को बचाये रखना सम्भव नहीं है।
समिट में 11 हिमालयी राज्यों के साथ नेपाल के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। चार सत्रों तक चले गहन मंथन में उत्तराखंड के मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई। उत्तराखंड में बढ़ते पलायन व घटती कृषि जोत पर गंभीर चर्चा हुई। इन विषयों पर पलायन एक चिंतन की ओर से संयोजक रतन सिंह असवाल, सह संयोजक अनिल बहुगुणा, अजय अजेय रावत, अखिलेश डिमरी, गणेश काला व नेत्रपाल यादव ने बुनियादी मुश्किलों को साझा किया। यूकोस्ट के राजेन्द्र डोभाल, उत्तराखंड में 108 के संस्थापक और गति फाउंडेशन के अनूप नौटियाल, शासन में सचिव रंजीत सिन्हा ने भी उत्तराखंड के मुद्दों को साझा किया। दिव्या रावत ने मशरूम से आजीविका पर अपनी बात रखी।
समिट में जम्मू कश्मीर, हिमांचल, नेपाल व पूर्वोत्तर राज्यों के नवाचारी काश्तकारों ने अपने अनुभव साझा किए। तीन दिन तक चले व्यापक मंथन में हिमांचल के कृषि मंत्री महेंद्र ठाकुर, मुख्य सचिव विनीत चौधरी, अरुणाचल के पूर्व सीएस रमेश नेगी, जाने माने लेखक व फ़ूड एनालिस्ट देवेंद्र शर्मा, आईसीआई मोड नेपाल के एकलव्य शर्मा, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम के पूर्व सीएस, शिमला विवि के वीसी तेज प्रताप सिंह, मौसम विभाग के आनंद शर्मा, माउंटेन डेवलोपमेन्ट स्विट्जरलैंड के मुख्तार खान, हिमांचल के पांच विवि के कुलपति, आईएमआई के सुशील रमोला, विनीता शाह, नीति आयोग के प्रतिनिधियों के साथ सभी हिमालयी राज्यों के सरकारी प्रतिनिधियों, यूएनडीपी, भारत सरकार के पूरवोत्तर मामलों के मंत्रालय व केंद्र सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने विचार व्यक्त किये।
उत्तराखंड के संदर्भ में पहाड़ से पलायन को लेकर सम्वन्धित विभागों की लचर कार्य प्रणाली, फ़ूड सिक्योरिटी व मनरेगा को अहम कारण माना गया। चकबन्दी की जरूरत को भी बताया गया। समिट में 250 से अधिक डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया। इस मौके पर वार्षिक आम सभा की बैठक भी हुई।