अश्लीलता फैला रही 857 पोर्न साइट्स को बंद करने का हाई कोर्ट का आदेश

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  • क्या पोर्न साइट्स को बंद किया जा सकता है अथवा नहीं ?

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : देहरादून के भाऊवाला में स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आने और इस मामले के आरोपियों ने पूछताछ में पोर्न साइट्स देखने की बात का हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए अश्लीलता फैला रही 857 पोर्न साइट्स को बंद करने का आदेश पारित करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि इस संबंध में केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना का मोबाइल कंपनियों द्वारा अनुपालन किया या नहीं। केंद्र से 11 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

गौरतलब हो कि देहरादून के भाऊवाला में स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का सनसनीखेज मामला सामने आया। इस मामले के आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह पोर्न साइट्स देखते थे। बीते रोज कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि क्या पोर्न साइट्स को बंद किया जा सकता है या नहीं।

आज खंडपीठ ने इन साइट्स को बंद करने का आदेश पारित किया। इस मामले में न्यायमित्र बनाए गए अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ ने बातचीत में कहा कि इन साइट्स के सर्वर विदेशों में हैं, लेकिन मोबाईल कंपनी बीएसएनएल, एमटीएनएल व अन्य इनकी सेवा प्रदाता हैं। केंद्र सरकार द्वारा 2015 में नोटिफिकेशन जारी कर कंपनियों से आईटी एक्ट के तहत इन साइट्स को बंद करने को कहा था, मगर आदेश के बाद भी कंपनियों द्वारा इन साइट्स को ब्लॉक नहीं किया गया। तमाम अध्ययन निष्कर्ष यह साफ कर चुके हैं कि पोर्न साइट्स की वजह से यौन अपराधों में इजाफा हो रहा है।