मुख्यसचिव सहित पांच अधिकारियों को हाई कोर्ट का अवमानना नोटिस जारी

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  • निष्क्रिय घोषित हुई हाईकोर्ट ने पहले से बनी कमेटी 
  • हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 11 अक्तूबर करेगी 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : उत्तराखंड के मेडिकल कालेजों की फीस निर्धारण के लिए फीस कमेटी और अपीलीय प्राधिकारी (अपीलेट अथारिटी) गठन के मामले में हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने पर याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने के बाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव (सीएस) समेत पांच अन्य अधिकारियों  को उच्च न्यायालय ने अवमानना का नोटिस दिया है।

हाईकोर्ट का आदेश था कि दोनों कमेटियों के चेयरमैन के लिए रिटायर जस्टिस के नाम हाईकोर्ट से लिए जाएं। हाईकोर्ट ने दोनों समितियों को भी निष्क्रिय घोषित किया था। इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली।

इसके बाद भी एक मेडिकल कॉलेज में पुरानी कमेटी की सिफारिश पर ही फीस में वृद्धि कर दी गई। इसके बाद याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है।

दरअसल, 12 जून 2018 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि कमेटी और अथारिटी चेयरमैन बनाने के लिए हाईकोर्ट से नाम नाम मांगने के बाद नियुक्ति की जाए।

वहीं हाईकोर्ट ने पहले से बनी कमेटी को भी निष्क्रिय घोषित कर दिया। इस फैसले के बाद पांच जुलाई को राज्य में संचालित एक निजी मेडिकल कॉलेज की फीस पर अपीलेट अथारिटी ने सुनवाई की और फीस में वृद्धि कर दी।

इस बीच सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। लेकिन वहां सरकार की याचिका खारिज हो गई। इधर, भाजपा नेता और याचिकाकर्ता रविंद्र जुगरान ने नैनीताल हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस लोकपाल सिंह ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार, अपर मुख्य सचिव (उच्च शिक्षा) डॉ. रणवीर सिंह, चिकित्सा शिक्षा नितेश झा, अपीलेट अथारिटी के चेयरमैन सुभाष कुमार और सदस्य डॉ. राजेंद्र डोभाल को नोटिस जारी कर कहा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए। अब हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 11 अक्तूबर को होगी।