हरक सिंह की इस चुनाव में भी कायम रही कहीं से भी लड़ने वाली प्रतिष्ठा

0
601

देहरादून । केवल मुख्यमंत्री पद को छोड कांग्रेस में सब पदो पर रह कर कांग्रेस से भाजपा में आये तूफानी छवि के नेता डाक्टर हरक सिंह ने कोटद्वार से पूर्व मंत्री सुरेंद्र नेगी को भारी अंतर से हराकर एक बार फिर अपनी उस छवि को मजबूत कर लिया है कि वे प्रदेश में कहीं से चुनाव लड और जीत सकते हैं। 

चुनाव से पहले उनके लिये भाजपा नेतृत्व से अपने लिये सीट तय कराना ही महाभारत हो गया था। उन्होंने लैंसडाउन,यमकेश्वर आदि जिन भी सीटों से लडने की इच्छा व्यक्त की थी,वहां से पहले ही भाजपा के विधयक थे। बाद में उनके लिये कोटद्वार सीट तय की गई तो वहां से पांच साल से तैयारी कर रहे शैलेंद्र सिंह रावत का विरोध इतना प्रबल खडा हो गया कि जिद में भाजपा छोड कर कांग्रेस में चले गये। कांग्रेस ने उन्हे पडोस की यमकेश्वर सीट से टिकट दे दिया ।

अब कहा जा रहा है कि डाक्टर हरक सिंह रावत के लिये अंततः यह भी अनुकूल सिद्ध हुआ क्योकि पिछले चुनाव में निवर्तमान विधायक के रूप में शैलेंद्र सिंह रावत तत्कालीन मुख्यमंत्री जनरल भुवन चंद्र खंडूडी के लिये पार्टी में रह कर घातक साबित हुए थे और जनरल खंडूडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री साबित हुए जो गद्दी पर रहते हारे। अब कोटद्वार से लोैटे भाजपा नेताओं का कहना है कि डाक्टर हरक की चुनाव लडने की शैली इतनी तूफानी है कि यदि वे छह महीने वहां तैयारी कर लेते तो कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव एजेंट तक न मिलता।

याद रहे, पिछले चुनाव में भी डाक्टर हरक को सहसपुर व डोई वाला से तैयारी करते-करते ऐन टिकट वितरण के समय रूद्र्रप्रयाग जाकर अपने ही बडे साढू तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंडारी का मुकाबला करने भेजा गया था। वे वहां के स्थानीय कांग्रेस नेताओं के असहयोग के बाद भी जीत आये। यह बात अलग हेै कि भाजपा में उनका नाम मुख्यमंत्री के संभावित दावेदारों में भी नही लिया जा रहा है । याद रहे, डाक्टर हरक सिंह रावत की राजनीति भाजपा से ही शुरू हुई थी और उनकी पृष्ठभूमि भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की रही है।