परिवहन सेक्टर को पर्यावरण के अनुकूल बनाकर डेढ़ करोड़ से ज्यादा नये रोजगार की संभावना

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फोटो- इंटरनेट से साभार

अगर वाहनों की कुल संख्या में 50 फ़ीसदी को इलेक्ट्रिक किया जाता है तो दुनियाभर में एक करोड़ से ज़्यादा अतिरिक्त रोज़गार पैदा किए जा सकते हैं

ख़ासतौर पर अगर बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाए

कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद पहले जैसी व्यवस्था में वापस नहीं लौटा जा सकता

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 संकट से उबरने की प्रक्रिया में अगर परिवहन सेक्टर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में धन निवेश किया गया तो डेढ़ करोड़ से ज़्यादा नए रोज़गार सृजित किए जा सकते हैं। साथ ही इससे देशों को हरित व स्वस्थ अर्थव्यवस्थाओं के पथ पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। यूएन यूरोपीय आर्थिक आयोग की रिपोर्ट स्पष्टता से कहती है कि कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद पहले जैसी व्यवस्था में वापस नहीं लौटा जा सकता।
परिवहन वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। जमीन पर चलने वाले ट्रांसपोर्ट से दुनियाभर में छह करोड़ से ज़्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार मिलता है और यह विश्व भर में कुल रोज़गारों का 2 फ़ीसदी है।
संयुक्त राष्ट्र समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ हरित अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण को वास्तविक बनाने के लिए परिवहन सैक्टर में ढाँचागत बदलाव लाने की ज़रूरत होगी।
यूएन विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से उबरने की प्रक्रिया टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में क़दम बढ़ाने का एक अवसर होनी चाहिए।

जॉब्स इन ग्रीन एंड हेल्दी ट्रांसपोर्टः मेकिंग द ग्रीन शिफ्ट नाम की यह रिपोर्ट अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग ने मिलकर तैयार की है। 
यूएन श्रम एजेंसी में टीम लीडर कैथरीन सैगेट ने बताया, “पर्यावरणीय टिकाऊ और समावेशी समाज के लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासों में अर्थव्यवस्था में ढाँचागत बदलाव की ज़रूरत होती है – उपलब्ध उत्पादों व सेवाओं और उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव.”।
“इस ढाँचागत कायापलट से अच्छे व उपयुक्त रोज़गारों के सृजन और कामगारों व उनके परिवारों की सुरक्षा की सम्भावना है। बशर्ते सही नीतियों पर अमल किया जाए।  इसमें ट्रांसपोर्ट सैक्टर भी है।
इस रिपोर्ट में उत्तर अमेरिका, यूरोप, कॉकसेस और मध्य एशिया क्षेत्र के 56 देशों में हरित परिवहन और उससे रोज़गार पर पड़ने वाले असर के चार परिदृश्यों का अध्ययन किया गया है।
इस क्षेत्र में स्थित देश संयुक्त राष्ट्र यूरोपीय आर्थिक आयोग के अन्तर्गत आते हैं। इन परिदृश्यों में सार्वजनिक परिवहन का तेजी से विस्तार किए जाने और निजी यात्रियों व माल ढुलाई के लिए परिवहन के विद्युतीकरण से होने वाले प्रभाव को टटोला गया है। 
वर्ष 2030 तक यथास्थिति जारी रहने की तुलना इन परिदृश्यों में अनुमानों से की गई है।
रिपोर्ट बताती है कि अगर निर्मित वाहनों की कुल संख्या में 50 फ़ीसदी को इलेक्ट्रिक किया जाता है तो दुनिया भर में एक करोड़ से ज़्यादा अतिरिक्त रोज़गार पैदा किए जा सकते हैं। ख़ासतौर पर अगर बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से किया जाए। 
साथ ही यूएन यूरोपीय आयोग के देशों द्वारा सार्वजनिक परिवहन में निवेश दोगुना किए जाने की स्थिति में विश्व भर में 50 लाख नए रोज़गार सृजित किए जा सकते हैं। 
इन उपायों से परिवहन सेक्टर के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, तेल पर ख़र्च घटने से अन्य सामानों व सेवाओं पर ख़र्च में बढ़ोत्तरी होगी और विद्युतीकरण से नवीकरणीय ऊर्जा सैक्टर में नए रोज़गार पैदा होंगे।
इसके अलावा परिवहन प्रणाली को पर्यावरण के अनुकूल बनाए जाने से ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा घटाने, वायु और ध्वनि प्रदूषण कम करने और ट्रैफ़िक जाम को कम करने में भी मदद मिलेगी, जिससे सड़क दुर्घटनाएँ कम की जा सकती हैं।