उत्तराखण्ड में उद्योगों के लिए अपार सम्भावनायें : राज्यपाल

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देहरादून। शुक्रवार को राज्यपाल डॉ.कृष्ण कान्त पाल कन्फेडरेशन ऑफ इण्डियन इण्डस्ट्रीज की ओर से उत्तराखण्ड की ”डबल डिजिट ग्रोथ” विषय पर आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के विकास में इण्डस्ट्रीज की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि राज्य को उद्योग के क्षेत्र में और अधिक मजबूत बनाने के लिए उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में ध्यान केन्द्रित करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में उद्योग के लिये अपार संभावनाएं है। राज्य में प्राकृतिक सुन्दरता और जैव विविधता का अपार भण्डार है। हिमालय पर्वत, ग्लेशियरों और बड़ी नदियाँ राज्य को समृद्ध बनाती हैं। उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली नदियाँ देश में ताजे पानी का दो तिहाई हिस्सा उपलब्ध कराती है। यहां का 60 प्रतिशत भू-भाग जंगलों से घिरा है और यहां सुगन्धित और औषधीय पौधों की कई प्रकार की दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती है। यह नंदा देवी बायोस्फियर व रिजर्व घाटियों की भूमि है। कार्बेट नेशनल पार्क अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य को पहचान दिलाता है।

राज्यपाल ने कहा कि राज्य के हिस्सो में अलग-अलग प्रकार की जलवायु पायी जाती है जो विभिन्न तरह की कृषि व बागवानी को विकसित किये जाने के लिए उपयुक्त है। उत्तराखण्ड राज्य ने स्थापना के बाद से ही तेजी से विकास किया है। उद्योग इस राज्य में रोजगार के जनक रहे हैं। यहां कई उद्योगों ने विकास किया है लेकिन अब जरूरत है कि यह उद्योग दो-तीन जिलों तक सीमित न रह कर प्रदेश के समस्त जिलों के विकास में अपनी भूमिका निभायें। राज्य के पर्वतीय जिलों में उद्योग और कृषि की अपार संभावनाएं हैं। यहां होने वाले स्थानीय उत्पादों को मार्केट उपलब्ध कराये जाने की जरूरत है। विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए औद्योगिक आधार का लाभ बेरोजगारों को मिलना चाहिए। हमें प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जिनमें पर्यटन, स्वास्थ्य, आईटी, हर्बल, औषधीय पौधे, सुगन्धित पौधे और ‘ऑफ सीजनÓ सब्जियां आदि प्रमुख है। ये सभी क्षेत्र पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों को समान रूप से लाभान्वित कर सकते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड योग और आयुर्वेद की भूमि है। इन क्षेत्रों के रूप में हमारे पास अनेक अवसर हैं, और इसका भरपूर लाभ उठाते हुए युवाओं को इन क्षेत्रों में कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर बेरोजगारी को दूर किया जा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयों की तकनीकी जानकारी भी स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध हो सकती है। इसकी साथ राज्यपाल ने लोक कला, शिल्प, पहाडी व्यंजनों को भी बेहतर ढंग से मार्केट उपलब्ध होने पर रोजगार सृजन किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में चारधाम सहित अनेक तीर्थ और पर्यटन स्थल है जो विश्वभर के पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। स्थानीय युवाओं को पर्यटन से जोडकर बेरोजगारी को कम किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में इन सभी का वैज्ञानिक प्रशिक्षण व तकनीकी ढंग से संचालन करने पर ध्यान देना होगा।

राज्यपाल ने सम्मेलन में उत्तराखण्ड की डबल डिजिट ग्रोथ विषय पर चर्चा किये जाने को भी अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि सीआईआई कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय , ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ मिलकर अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अनुकूल माहौल तैयार करने में सहायता कर रहा है।

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