चुनाव परिणाम आने तक और भी खुलेंगे राज़ !
देहरादून : जैसे -जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे -वैसे भाजपा में भीतरघात की धधक रही ज्वाला की आग भी बाहर आती जा रही है। भीतरघात और बगावत की यह आग कितने भाजपा के नेताओं को अपने चपेट में लेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन यह साफ़ हो गया है कि अनुशासन के लिए विख्यात इस पार्टी का इस बार विधानसभा चुनावों में अनुशासन तार-तार करने में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक ने कोई कमी नहीं छोड़ी।
ताज़ा मामला खटीमा विधानसभा सीट से जुड़ा हुआ है जहाँ भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष से लेकर प्रदेश मंत्री व तमाम सक्रिय कार्यकर्ताओं ने पार्टी के विधायक प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ भीतरघात ही नहीं किया बल्कि उनके खिलाफ षड्यंत्र तक किया कि वे किसी भी तरह से जीत न पाएं। हालाँकि इस भीतरघात की शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक से लिखित व मौखिक रूप में की जा चुकी है लेकिन चुनाव के दौरान भितरघातियों ने जो नुकसान पार्टी प्रत्याशी को पहुँचाना था वे पहुंचा चुके हैं।
ठीक इसी तर्ज पर सूबे की अन्य विधानसभा सीटों से भी आये दिन ख़बरें आ रही हैं कि पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ काम किया है सबसे ज्यादा शिकायतें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे धन सिंह रावत , बिशनसिंह चुफाल से लेकर पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष अजय भट्ट की विधानसभाओं से भेजी गयी हैं। पार्टी के सूत्रों के अनुसार इससे भी ज्यादा नुकसान भाजपा को कांग्रेस के बागियों को भाजपा से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतरे ऐसे प्रत्याशियों के विधानसभा क्षेत्रों से मिली है जहाँ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपने प्रत्याशी के लिए जब काम नहीं किया तो ऐसे प्रत्याशियों को अपने गुर्गों को मैदान में उतारना पड़ा।
वहीँ यह भी शिकायत पार्टी आलाकमान को मिली है कि सूबे के संगठन से जुड़े कथित बड़े नेताओं ने जो चुनाव के दौरान पार्टी कार्यालय में केवल कुर्सी तोड़ते हुए केंद्र से मिले माल को हज़म करने में व्यस्त रहे ऐसे नेताओं ने सूबे में कहीं भी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में खड़े अपने कार्यकर्ताओं को मनाने का ठोस प्रयास नहीं किया जिससे कि पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ खड़े पार्टी के कार्यकर्ता को मनाया गया हो। पार्टी के सूत्रों न बताया कि यही कारण रहा कि जहाँ भाजपा के बागी प्रत्याशियों ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशियों के रास्ते में कांटे बोये वहीँ प्रतिद्वंदी कांग्रेस ने ऐसे लोगों को मनाकर अपनी राह आसान करने का काम किया है।
बहरहाल चुनाव परिणाम के सामने आने तक भाजपा के भीतर सुलग रही आग कैसा रूप अख्तियार करती है यह तो समय ही बताएगा लेकिन अनुशासन प्रिय भाजपा यहाँ जरूर इस बार बचाव की मुद्रा में है। क्योंकि इस चुनाव में सबसे ज्यादा यदि भीतरघात हुआ है तो वह भाजपा में हुआ है और संगठन के लोग मौन होकर इसे देखते रहे।