कुंभ में गंगा स्नान का है पौराणिक महत्व

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आकाश में सूर्य की लालिमा दिखने से पहले ही कर लेना चाहिए गंगा में स्नान 

कमल किशोर डुकलान 
हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का विशेष महत्व बेहद विशेष बताया गया है। मान्यता है कि अगर व्यक्ति कुंभ स्नान करता है तो उसके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति होती है। कहा जाता है, कि अगर कुंभ में स्नान किया जाए तो पितृ ऋण से मुक्त मिलती है तथा उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
यूं तो मायापुरी हरिद्वार स्थित हरि की पैड़ी में विशेष फल की प्राप्ति हेतु प्रतिदिन लाखों की संख्या लोगों का गंगा में स्नान करते हैैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर पिछले 12 मार्च को लाखों लोगों ने नागा साधुओं के शाही स्नान के बाद पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाई। ऐसी मान्यता है कि शाही स्नान पर पवित्र नदियों में स्नान करने से अनेक पुण्य फल प्राप्त होते हैं। किन्तु पुण्य बटोरने की इस आपाधापी में कई बार लोग उन नियमों को भूल जाते हैं,जो पवित्र नदियों की उपयोगिता और पवित्रता बनाये रखने के लिए बनाए जाते हैं। देश में ऐसे कई पर्व,उत्सव हैं, जिनमें पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। जब बात कुंभ महापर्व की हो तो स्नान मात्र एक नित्यकर्म न होकर मोक्ष प्राप्ति का साधन बन जाता है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं,जल ही जीवन है, इसलिए पानी के स्रोतों को साफ बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। इसी बात को ध्यान में रखकर शास्त्रों में नदी और जलाशयों की पूजा करने का विधान माना गया है। साथ ही इनको किसी भी प्रकार से अपवित्र करने से दोष लगता है। शास्त्र कहतें है कि पहले नदी के किनारों पर अलग से जल लेकर स्नान कर लेना चाहिए,इसके बाद नदी में डुबकी लगानी चाहिए।
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि पवित्र तीर्थ में सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। ऐसा करने से दो तरह के फायदे बताए गए हैं। इससे शरीर स्वक्ष और निरोग तो रहता ही है, साथ ही पूण्य भी मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। इसी मान्यता के कारण कुंभ जैसे अवसरों पर सुबह ही स्नान करने की परंपरा आरंभ हुई है। सार यह है कि आकाश में सूर्य की लालिमा दिखने से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए।