गैरसैंण,सत्ता में आने-जाने वाली दोनों ही पार्टियों के लिए बना गर्म दूध

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इन्द्रेश मैखुरी

गैरसैंण,उत्तराखंड की सत्ता में आने-जाने वाली दोनों ही पार्टियों,भाजपा और कांग्रेस के लिए गर्म दूध बना हुआ है,जो न उगलते बनता है,न निगलते। अब देखिये न,आजकल गैरसैंण को लेकर कांग्रेसियों का प्रेम उमड़-घुमड़ रहा है।धरना-प्रदर्शन करने से लेकर बयानबाजी तक सब में दिखाई दे रहे हैं। कोई पूछे कि भाई साहब,तुमने क्यूँ नहीं स्थायी राजधानी बनाया गैरसैंण को ? तीन मुख्यमंत्री,तुम्हारे हुए,दस साल सरकार भी रही प्रदेश में तुम्हारी। एक सत्र गैरसैंण,बाकी समय देहरादून,ये नौटंकी तो तुम्हारी ही शुरू की हुई। भराड़ीसैण में विधानसभा का भवन हरीश रावत ने बनाया तो देहरादून के रायपुर में विधानसभा भवन बनाने का टेंडर भी उन्होंने ही निकाला था।अंत तक गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित नहीं किया कांग्रेस ने।

यही दोहरा रवैया,गैरसैंण के मामले में भाजपा का भी है।सात दिन का सत्र घोषित करके डेढ़ दिन में गैरसैंण से देहरादून भागने का कारनामा भाजपा सरकार कर चुकी है।अब बजट सत्र को लेकर फिर देहरादून और गैरसैंण के बीच त्रिवेंद्र रावत सरकार झूल रही है।पहले सरकार की तरफ से घोषणा की गयी कि बजट सत्र का पहला हिस्सा देहरादून में होगा और बजट पेश करने सहित बाकी हिस्सा गैरसैंण में आयोजित होगा।जनता को बरगलाने का यह चरम नमूना है कि विधानसभा का एक ही सत्र,दो हिस्सों में,दो अलग-अलग जगहों पर हो।बजट सत्र जैसे महत्वपूर्ण सत्र को इस तरह की सियासी चालबाजी की भेंट चढाने का संभवतः यह अकेला ही कारनामा होगा।

गैरसैंण के मसले पर जनता को बरगलाने की इन्तहा है कि सरकार और पार्टी दोनों अलग-अलग सुरों में बोलते नजर आ रहे हैं।सरकार ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण देहरादून में होगा,बजट गैरसैंण में पेश किया जाएगा।भाजपा की तरफ से अखबार में छपा है कि वो, राज्यपाल का अभिभाषण भी गैरसैंण में ही चाहते हैं।वो चाहते हैं कि पहले गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी बने और फिर स्थायी राजधानी बने।

भाई भाजपाईयो तुम्हारी चाहत,इतनी खर्चीली और भ्रामक क्यूँ है ?राज्यपाल का अभिभाषण ही क्या,जनता तो चाहती है कि सारी सरकार गैरसैंण में रहे,सरकार गैरसैंण से और गैरसैंण के नजरिये से चले।रही बात पहले ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की तो यह किसी हाल में स्वीकार्य नहीं है।ये राजधानी बनाने का मामला है कोई खेल नहीं हो रहा है कि पहले सेमीफाइनल होगा,फिर फाइनल।और सेमीफाइनल भी होना था तो प्रदेश में कामचलाऊ समेत तीसरी बार सरकार बनी है,भाजपा की।पिछली दो पारियों में सेमीफाइनल क्यूँ नहीं कर लिया?

आन्दोलन का दबाव बढ़ता मालूम पड़  रहा है तो भ्रम फैलाने का कारोबार शुरू हो गया।राजधानी के मसले को अब तक लटकाए रखने वाले कांग्रेसी,एकाएक आन्दोलनकारी हो रहे हैं।और भाजपा दो राजधानी,एक सत्र के दो हिस्से जैसे शिगूफे छेड़ रही है। “रपट गये तो हर-हर गंगे” टाइप के आन्दोलनकारी नहीं चाहिए। न दो राजधानियां स्वीकार्य हैं,न एक सत्र के दो हिस्से।गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करो,वरना तो दो क्या दस हिस्सों में भी सत्र करोगे तो विरोध का सामना करना होगा।जोरदार विरोध होगा,जम कर विरोध होगा।