कांग्रेस की हालत इतिहास के साथ चालीस वर्ष के गरुड़ की जैसी

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  • 2019 के चुनावों पर राजनीतिक समीक्षा व राष्ट्रीय दलों को अपने इतिहास से सीखने की सलाह
  • कांग्रेस मुक्त भाजपा से कांग्रेस युक्त भाजपा का सफ़र
मदनमोहन ढौंडियाल
भारत के प्रजातंत्र में अधिक परिपक्वता आ रही है। जैसे जैसे नयी पीढ़ी पढ़लिख रही है, वैसे वैसे काफी कुछ राजनीतिक सुधार और जनमत में बदलाव साफ़ देखे जा सकते हैं। अशिक्षा या जाहिलता का लाभ ले कर राजनीती करने वालों के दिन लद रहे हैं। शिक्षित पीढ़ी अब अपना भला बुरा समझने में सक्षम है। 
देश की पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की हालत इतिहास के साथ चालीस वर्ष के गरुड़ की जैसी हो गयी है। जब गरुड़ चालीस वर्ष का हो जाता है तो उसकी चोंच टेढ़ी हो जाती है ,पंजे कमजोर हो जाते हैं और पंखों में भारीपन आ जाता है। जाहिर है उसको लम्बी उड़ान के साथ शिकार को पकड़ना और खाना बहुत कठिन काम हो जाता है। ऐसी हालत में उसके पास तीन ही रास्ते बचते हैं -(1 ) मरे हुए जानवरों को खा कर गिद्द की तरह जीवित रहो (2 ) मृत्यु का रास्ता ( 3 ) शरीर को सुधार कर नयी उड़ान और स्वाभिमान के लिए नया संघर्ष। गरुड़ अपने स्वाभिमान पर चल कर संघर्ष का मार्ग चुनता है। इस पर मैंने एक विडिओ डाला है कि गरुड़ की प्रकृति और संघर्ष कैसा होता है। 
कांग्रेस की चोंच ,पंजे और पंख गरुड़ के चालीस वर्ष जैसे हो गए हैं और शायद इसीलिए स्वाभिमान के संघर्ष के लिए गरुड़ की तरह कांग्रेस भी पार्टी के अंदर सुधारवाद पर लग चुकी है। यह सुधारवाद संभवतः उसके बिगड़े स्वास्थ्य को सुधार सकता है। 
कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं, तो वहीँ भ्रष्टाचार के मामलों को जिसे बीजेपी और उसके सहयोगी दल उठाते रहे हैं ,अभी तक कोई भी कांग्रेसी भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते जेल में नहीं गया। बीजेपी पर हिन्दुओं ने भी रामनाम की लूट का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। लोग अब सीधा कह रहे हैं ,भाई हमको पंद्रह लाख नहीं चाहिए ,आप सिर्फ धारा 370 हटा दो और देश में समान नागरिक अधिकारों वाले कानूनों का बिल पास कर दो ,फिर आपको प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने का मौका देंगे। जनता को यह बात हजम नहीं हो रही है जब बीजेपी ऐसे बिल संसद में पास कर सकती थी ,तो उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया ,बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह बीजेपी पर लग रहा है। 
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पास खाप पंचायतों जैसा माहौल है। यह हालात इंदिरा गाँधी की समकालीन राजनीती में नहीं थे। जिस दिन कई दलों की बैसाखी कांग्रेस छोड़ दे समझ लो कांग्रेस में नई जान आ जाएगी। ऐसा करने से मौका देख कर मन्त्र पढ़ने वाले राजनीतिज्ञों को देश में गन्दगी फ़ैलाने का मौका नहीं मिल सकेगा। बीजेपी में भी लगभग ऐसी ही स्थिति है और भविष्य में इसके बढ़ने के आसार साफ़ दीख रहे हैं। 
कभी बीजेपी कहती थी-देश को कांग्रेस मुक्त बनाना उनकी प्रमुखता है, लेकिन उन्होंने बीजेपी को कांग्रेस युक्त बना डाला। अगिनत कांग्रेसी जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे आजकल बीजेपी की शोभा बढ़ा रहे हैं। आज मैं पढ़ रहा था ,दो बीजेपी के जनप्रतिनिधि जिनपर शारदा चिटफण्ड का आरोप है, कभी कांग्रेस की शोभा बढ़ा रहे थे। सब मिला कर बीजेपी में जो भ्रष्टाचारियों की भीड़ कांग्रेस से गयी है ,वे बीजेपी को कमजोर करने में अपनी भूमिका निभाएंगे। देश में अगर राजनीतिक सुधार करने हैं तो राजनीतिक दलों को अपने घरों की सफाई पर ध्यान रखना होगा,और योग्य जनप्रतिनिधियों को टिकट देने होंगे । चर्चा जारी है। 
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