लोकगायक नेगी ने आखिर क्या गलत कह दिया !

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शराब फैक्ट्री के विरोध के बीच नेगी ने फैक्ट्री का किया समर्थन 

तब भानजे खंडूरी ने मामा बहुगुणा का क्यों नहीं किया विरोध

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने क्या गलत कहा जब सरकार शराब के सेवन पर रोक नहीं लगा सकती तो प्रदेश में बनी शराब पीने में क्या बुराई है। श्रीं नेगी जी की बात कहा गलत है जब पडोसी राज्य हिमाचल के सोलन में शराब बन सकती है तो उत्तराखंड में क्यों नहीं ? हालांकि श्री नेगी ने यह भी साफ़ किया है कि उनका यह विचार प्रदेश में रोजगार और यहां के फलोत्पादन व  कृषि उत्पादों को बाज़ार को लेकर दिया गया है।

यदि श्रीं नेगी जी के बयान से पहले की बात की जाय तो जब तत्कालीन उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने कुंवावाला में शराब की फैक्ट्री का लाइसेंस दिया तो तब उनके भानजे पूर्व मुख्यमंत्री रहे भुवन चंद खंडूरी ने क्यों विरोध नहीं किया ? क्या फौज में उच्च पदों पर रहते हुए मेजर जनरल ने कभी उनको कैंटीन से मिलने वाली शराब का सेवन नहीं किया या अपने कैंटीन के कार्ड से शराब नहीं ली इसका भी जवाब उनको देना चाहिए। या केवल विरोध के लिए वे अब सरकार का विरोध कर रहे हैं।

गौरतलब हो किउत्तराखंड में सबसे पहली शराब फैक्ट्री देहरादून के कुआंवाला में दून वैली के नाम से लगी थी। जिसका लाइसेंस 1975 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने दिया था तब  दिग्गज नेता में शुमार हेमवती नंदन बहुगुणा यूपी के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद उत्तराखंड में वर्ष 1981 में बाजपुर में विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में शराब फैक्ट्री लगी। जबकि काशीपुर में स्थित आईजीएल शराब फैक्ट्री 1989 में एनडी तिवारी के मुख्यमंत्री रहते खुली थी। इतना ही नहीं वर्तमान में उत्तराखंड में चार शराब फैक्ट्रियां, नौ बॉटलिंग प्लांट तीन वियर व शराब फैक्ट्रियां कम बाटलिंग प्लांट हैं, जिनमें हजारों लोगों को रोज़गार मिल रहा है। हालांकि एक और शराब की एक फैक्ट्री फरवरी 2014 में शुरू हो गयी थी, इसके लाइसेंस स्वीकृति की तिथि की जानकारी अभी नहीं मिल पा रही है। लेकिन यह साफ़ है कि उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद यहां काबिज सरकारें सूबे में शराब फैक्ट्रियों, बियर फैक्ट्री व बोटलिंग प्लांट की अनुमति देने में कहीं भी पीछे नहीं रही जबकि प्रदेश में शराब का विरोध तो सभी राजनितिक दल करते रहे लेकिन दूसरी तरफ राज्य के लिए राजस्व जुटाने का यह सबसे आसान साधन भी राज्य सरकार नहीं छोड़ना चाहती है वहीं यह बात भी दीगर है कि प्रदेश के धार्मिक स्थानों को छोड़ शायद ही ऐसा कोई  कस्बा बचा होगा जहां शराब की दुकान नहीं।

बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी का अचानक कई महीनों बाद बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि पहाड़ में शराब बेचकर पैसा कमाना आत्महत्या के बराबर है। चाहे किसी भी दल की सरकार हो, उसको वहां ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में शराब बेचकर पैसा कमाना आत्महत्या के बराबर है। चाहे किसी भी दल की सरकार हो, उसको वहां ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब उनके मामा हेमवती नंदन बहुगुणा ने यहाँ पहली शराब की फैक्ट्री का लाइसेंस दिया तब क्यों नहीं उन्हें उत्तराखंड की याद आयी ?

उल्लेखनीय है कि बीते दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाटक सम्मान के लिए चयनित होने पर बधाई देने उनके घर पहुंचे थे । यहां उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर सीएम ने उनकी उपलब्धि पर खुशी जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें मिला ये सम्मान पूरे प्रदेश का सम्मान है। कहा कि नेगी ने संगीत के माध्यम से उत्तराखंड को पहचान दिलाई है। उन्होंने अपने संगीत में पहाड़ के जीवन के हर पहलू को समेटा है। उन्होंने नेगी को बधाई देते हुए उनकी दीर्घायु व स्वस्थ जीवन की कामना की।

बीते दिन जब मीडिया ने लोकगायक नेगी से देवप्रयाग में हिलटॉप शराब की फैक्ट्री खोलने पर सवाल पूछे तो श्री नेगी ने कहा कि हमें समझना होगा कि यह सही है या गलत। यहां के लोग शराब नहीं पीते तो यहां शराब से जुड़ा कुछ नहीं होना चाहिए। लेकिन, प्रदेश में शराब की खपत बेहद ज्यादा है। तो यहां फैक्ट्री स्थापित करने पर आपत्ति क्यों? उन्होंने कहा यहां के माल्टा उत्पादक किसानों को इसका फायदा मिलना चाहिए और युवाओं को रोजगार भी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसकी समीक्षा तो सरकार को ही करनी होगी कि फैक्ट्री से कितना फायदा हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि  मेरा व्यक्तिगत सोचना है कि अगर खपत है तो लोग हिमाचल के सोलन अथवा उत्तरप्रदेश के धामपुर या अन्य जगहों का बना माल क्यों पी रहे हैं।