टिहरी झील में डूबी सरकारी लापरवाही से करोड़ाें की फ्लोटिंग मरीना

0
1213
  • एक साल पहले इसी में हुई थी सरकार की कैबिनेट मीटिंग
  • करोड़ों की लागत की फ्लोटिंग मरीना और बार्ज बोट खा रहीं हैं जंग

देवभूमि मीडिया ब्यूरो  

नयी टिहरी  : विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सूबे का पर्यटन विभाग और टिहरी जिला प्रशासन कितना संजीदा है इस बात का पता तब चलता है जब टिहरी झील में एक साल से खड़ा चार करोड़ की लागत से निर्मित फ्लोटिंग मरीना (चलता-फिरता रेस्टोरेंट) लावारिस ही नहीं बल्कि झील के पानी में समाते-समाते बच गया। 

मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह टिहरी झील का जलस्तर कम होने पर फ्लोटिंग मरीना झील में पूरी समाने से बाल-बाल बच गया। लेकिन मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा होकर झील के पानी में समा गया था। फ्लोटिंग मरीना के पानी में समाने की जैसे ही खबर पर्यटन विभाग और जिला पर्यटन  और जिला प्रशासन को लगी तो  महीनों से सोये अधिकारियों की नींद टूटी और कुछ ने तो मौके पर पहुंचकर आधे डूब चुके  मरीना को बमुश्किल खींचकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते पिछले साल भी यह मरीना एक पहाड़ी पर फंस गया था। उस दौरान मरीना के शीशे और कई अहम हिस्से कल -पुर्जे भी क्षतिग्रस्त हो गए थे।

गौरतलब हो कि भाषणों में भले ही टिहरी झील में पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्यटन विभाग ने झील किनारे करोड़ों की योजनाएं बनाई हैं लेकिन अभी तक एक भी योजना परवान नहीं चढ़ पायी है।बेरोजगार स्वरोजगार की तलाश में दफ्तरों के चक्कर लगाने को मज़बूर हैं तो सरकार की नीतियां उनको चक्कर कटवाने के लिए मजबूर हैं।  हालत यहाँ तक पहुँच चुके हैं कि टिहरी झील में ढाई करोड़ की लागत से बनी फ्लोटिंग मरीना और बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर के लोगों की आवाजाही के लिए बनायी गयी सात करोड़ 17 लाख की लागत से तैयार बार्ज बोट पिछले चार साल से झील किनारे संचालन की राह ताक रही है।

वहीं टिहरी झील में सात करोड़ की लागत से तैयार कराई गई बार्ज बोट (माल ढुलाई की बड़ी नाव) की स्थिति सही नहीं है।  टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर ब्लाक के करीब डेढ़ लाख आबादी अलग-थलग पड़ गई। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को 120 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ती है। इसमें करीब चार घंटे लग जाते हैं। जबकि झील को पार कर यह दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर रह जाती है। ऐसे में माल ढुलाई के लिए पर्यटन विभाग ने बार्ज को तैयार किया था। लेकिन चार साल बाद भी पर्यटन विभाग बार्ज का संचालन भी शुरू नहीं करा पाया। ऐसे में बार्ज बोट भी जर्जर हो गई है। पिछले साल बार्ज में एक छेद भी हो गया था जिससे पानी रिसने लगा था। उसके बाद उसकी विभाग ने मरम्मत कराई थी।

अधिकारियों की मानें तो फ्लोटिंग मरीना और बार्ज बोट इन दोनों का सञ्चालन पीपीपी मोड पर  संचालन होना था, लेकिन पर्यटन विभाग को दोनों योजनाओं के संचालन शुरू करने के लिए प्राइवेट पार्टनर नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि कोटी कालोनी में झील किनारे खड़े फ्लोटिंग मरीना का एक हिस्सा झील में खड़े-खड़े जंग खाने के चलते मंगलवार सुबह टेढ़ा होकर पानी के अंदर समा गया।