केंद्र पर 10 साल के लिए दिए गए आरक्षण को जारी न रखने के लिए बनाएंगे दबाव
प्रमोशन में आरक्षण के विरोध में बनाएंगे आंदोलन की रूपरेखा
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : 24 अक्टूबर को देहरादून में अपने-अपने प्रांतों में आरक्षण के खिलाफ छेड़ी गई जंग का नेतृत्व कर रहे कर्मचारी नेता जुटने जा रहे हैं। ये सभी कर्मचारी नेता अखिल भारतीय समानता मंच के बैनर तले होने वाले इस कार्यक्रम में वे आरक्षण के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ने के लिए रणनीति बनाएंगे।
इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का नेतृत्व करने वाली नई टीम का एलान भी होगा। राष्ट्रीय संगोष्ठी के बहाने जुट रहे कर्मचारी नेता सीधी भर्ती के पदों में आरक्षण की व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करने की मांग को लेकर मंथन करेंगे और इसके लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार करेंगे।
राष्ट्रीय कार्यक्रम के संयोजन का कार्य देख रहे उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी की मानें तो आरक्षण विरोधी अभियान के लिए ये सेमिनार मील का पत्थर साबित होगा। उनकी मानें तो कार्यक्रम में देश भर करीब 250 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। एसोसिएशन से जुड़े कर्मचारी नेताओं की अलग से भागीदारी रहेगी।
दीपक जोशी के मुताबिक, सेमिनार का एजेंडा तकरीबन तैयार है। इस आयोजन का मुख्य ध्येय देश भर में आरक्षण के खिलाफ चल रही अलग-अलग संघर्षों को एक मंच पर लाकर उसे विराट आंदोलन में तब्दील करना है। दूसरा उद्देश्य केंद्र पर आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त कराने का है। अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव विनोद नौटियाल के मुताबिक, भारत के संविधान में आरक्षण की व्यवस्था 10 साल के लिए की गई थी।
केंद्र की सरकारें इस मियाद को बढ़ाती आई हैं। 25 जनवरी 2020 को आरक्षण के 10 साल पूरे होने जा रहे हैं। इससे पहले मंच के तहत देश भर के कर्मचारी केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह आरक्षण की व्यवस्था की जारी न रखे।
सेमिनार में इसके लिए भी रणनीति बनेगी। इसके अलावा प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार होगी। अदालतों में चल रहे मामलों में आरक्षण के खिलाफ मजबूत पैरवी को लेकर मंथन होगा और उसमें समस्त कर्मचारियों से सहयोग का आह्वान किया जाएगा।
उत्तराखंड और स्थापन (रोजगार विनियमन एवं सेवा-शर्त) अधिनियम, 2017 (उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या 03 वर्ष, 2018) की धारा 26 के अधीन प्राप्त शक्तियों का प्रयोग...