उत्तराखंड में बिखरे हुए दलों को एक मंच पर लाने के प्रयास शुरू

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उत्तराखण्ड के विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर मंथन

2022 से लिखेंगे, उत्तराखण्ड के विकास की नई कहानी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। प्रदेश के विकास और राजनीति को नई दिशा देने के लिए उत्तराखण्ड प्रगतिशील पार्टी (यूपीपी) ने रविवार को राजपुर रोड़ के एक होटल में विभिन्न समसामायिक मुद्दों पर विचार करने के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन की अध्यक्षता उत्तराखण्ड प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष संजय कुंडलिया ने की। सम्मेलन में युवाओं को रोजगार, पलायन के साथ विभिन्न परियोजनाओं की बदहाली पर भी वक्ताओं ने विस्तार से अपने विचार रखें।  

उत्तराखण्ड राज्य में तीसरे दल की आवश्यकता को लेकर सम्मेलन में प्रदेश भर के सभी क्षेत्रीय दलों, विभिन्न सामाजिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन के द्वारा प्रदेश में बिखरे हुए दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया।

उत्तराखण्ड प्रगतिशील पार्टी (यूपीपी) के अध्यक्ष संजय कुंडलिया ने सम्मेलन में कहा कि अब समय आ गया है जब प्रदेश को तीसरे विकल्प की जरूरत है। हमारा राज्य दो पार्टियों के बीच में पीस गया है विकास के नाम पर राज्य के लोगों के साथ धोखा हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में क्षेत्रीय पार्टी की सरकार जरूरी है तबभी हमारे प्रदेश का विकास होगा। संजय कुडलिया ने कहा कि निस्वार्थ भाव से, अलग-अलग रूपों में बिखरी हुई, सभी क्षेत्रीय ताकतों को एक करना है। आपके अनुभव के साथ हमारा जोश इस क्षेत्रीय पार्टी को एक नये मुकाम तक पहुंचायेगा।

क्षेत्रीय दलों ने प्रदेश की जनता को बेहद निराश किया है। पूर्व में क्षेत्रीय दलों से जीते जन प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय दलों की गोद में बैठकर सत्ता सुख तो उठाया, लेकिन जनता के विश्वास को खो दिया। उत्तराखण्ड प्रगतिशील पार्टी इस विश्वास को पुनः जाग्रित करना चाहती है, जिसके लिए दल ने हुंकार भर ली है। उन्होंने प्रदेश की विभिन्न बिखरी हुई राजनीतिक ताकतों एवं व्यक्तियों को एक मंच पर लाने का संकल्प लेते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है, उत्तराखण्ड का विकास धरातल से शुरू हो। उत्तराखण्ड का गठन कागजों में भले ही वर्ष 2000 में हुआ हो, लेकिन इसका पुनः गठन उत्तराखण्ड प्रगतिशील पार्टी 2022 में करेगी, जिसमें इन 22 सालों को भूलकर 2022 से उत्तराखण्ड के विकास की एक नई कहानी लिखी जायेगी। 

सम्मेलन में निलेय कुकरेती, मनोज देवगन, नीरू सोहन, मनमोहन सिंह बिष्ट, पुष्पा पाल, डॉ0 तरूण नवानी, श्रीमती धना वाल्दिया, डॉ0 अश्वनी कुमार, जय दीप सकलानी, मनोज ध्यानी, प्रदीप कुकरेती, सागर सिंह भण्डारी, चन्द्रगुप्त विक्रम, विपुल नौटियाल, कर्नल आरपी दत्ता, श्रवणन कुमार चौहान, नित्यानंद भट्ट, जबर सिंह पावेल, देवेश सजवान, कुंदन सिंह बेगारी, मोहन रावत, आशीष नौटियाल, आलोक शर्मा, बीरबन सिंह रावत, अमित महावाल, मनोज बिजलवान, गुलशन आदि वक्ताओं ने अपने अनुभव सम्मेलन में साझा किये।