जमीन के अंदर स्ट्रेस बढ़ने के कारण भूकंप का खतरा

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नीचे धंस रही है द‌िनों द‌िन यूरेशियन प्लेट

देहरादून : द‌ुन‌िया भर में आम लोगों से लेकर वैज्ञान‌िकों के स‌िर का दर्द बनते जा रहे रोजाना आने वाले भूकंप के झटकों को लेकर वैज्ञान‌िकों ने ही एक बड़ा खुलासा क‌िया है। वैज्ञान‌िकों का मानना है क‌ि देश के कई ह‌िस्सों में भूकंप यूं ही नहीं आता। बल्क‌ि इसके ‌इसके ज‌िम्मेदार हम ही हैं। जमीन के अंदर स्ट्रेस बढ़ने के कारण भूकंप का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

हिमालयी भूगर्भ में इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने से जमीन के अंदर स्ट्रेस लगातार बढ़ता जा रहा है। भूगर्भ में बड़ी मात्रा में इकट्ठी हो रही ऊर्जा के निकलने से ये छोटे-छोटे झटके लग रहे हैं।

इसके साथ ही किसी भी वक्त बड़े भूकंप का खतरा बढ़ता जा रहा है। भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि इस खतरे को रोका तो नहीं जा सकता, इसलिए सुरक्षा की कारगर व्यवस्था तैयार कर ली जानी चाहिए। लोग मानसिक रूप से भूकंप से बचाव के लिए तैयार रहें।

इंडियन प्लेट 40-50 मिमी प्रति वर्ष की गति से यूरेशियन प्लेट की नीचे उत्तर की दिशा की ओर धंस रही है। इसके मूवमेंट के साथ ही हिमालयी और आसपास का भूगर्भ ऊर्जा से भरता जा रहा है।

इससे पूरे क्षेत्र में स्ट्रेस बढ़ रहा है। भूगर्भ में जहां भी ऊर्जा को निकलने के लिए जगह मिलती है, यह निकल पड़ती है और लोग भूकंप के झटके महसूस करने लगते हैं। ये झटके हिमालयी राज्यों, एनसीआर, दिल्ली या उत्तर भारत के राज्यों में ही नहीं साइब्रेरिया तक महसूस किए जाते हैं।

विज्ञानियों का कहना है कि भूगर्भ के अंदर मची इस हलचल की वजह से सैकड़ों सालों से निष्क्रिय भूकंप पट्टियां भी जग गई हैं। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान इन पट्टियों का सर्वे कर चुका है।

वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के भू-भौतिकी विभाग के अध्यक्ष वरिष्ठ भूकंप विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि इंडियन प्लेट की गति के साथ भूगर्भ में ऊर्जा भर रही है। ऐसे में भूकंप के ये झटके सामान्य घटनाएं हैं। कभी भी बड़े भूकंप की भी आशंका है। इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है। सिर्फ बचाव के तरीके अपनाए जाएं।