डोबरा -चांठी सस्पेंशन ब्रिज IIT रुड़की, IIT खड़गपुर ने डिजाइन में 10 साल का समय किया बर्बाद !

0
1571

टीम लीडर किम के पास 1150 मीटर लंबे सस्पेंशन पुल बनाने का अनुभव

प्रतिष्ठित हनयंग यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, इन्हीं के डिजाइन को ट्रायल में सफलता मिली

शीशपाल गुसाईं 
फोटो में श्री जैई की किम, सिविल इंजीनियर योओशिन इंजीनियरिंग कारपोरेशन साऊथ कोरिया हैं। डोबरा- चांठी पुल की चमचमाती फोटो के साथ इनकी फोटो देख कर मन प्रशन्न होता है। देश के सबसे लंबे सस्पेंशन ब्रिज डोबरा चांठी के टीम लीडर हैं।इन्होंने और साथियों ने इस पुल का डिजाइन तैयार किया है और इन्हीं के देखरेख में निर्माण हुआ है।जिससे यह पुल उद्घाटन की स्थिति में है।
इंजीनियर किम जैसे लोगों ने ही साउथ कोरिया को ऊंचाई की बुलंदियों में ले जाने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी कंपनी भी उतनी बड़ी है जितनी सैमसंग, हुंडई आदी… इन्हीं इंजीनियरिंग की बदौलत वह दुनिया सलाह दे रहा है।
किम ने 30 साल पहले साउथ कोरिया की प्रतिष्ठित हनयंग यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री ली थीं। 1991 से वह सिविल इंजीनियर हैं। उनके पास 1150 मीटर मेन स्पान का सस्पेंसन ओल्सेन सस्पेंशन पुल, दक्षिण कोरिया का डिजाइन करने और उसकी सफलता की कहानी गढ़ने का अनुभव है। इस सहित कई पुलों का डिजाइन करने का एक्सपीरियंस भी है।उनकी देखरेख में इन दिनों कोलकाता से 40 किलोमीटर दूर हुगली नदी पर केबल स्टे ब्रिज बन रहा है। लॉकडाउन में किम वहीं फंस गए थे। उनकी टिहरी और राज्य बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था। जब आये तब रविवार को डोबरा- चांठी पुल का उन्हीं के नेतृत्व में सफल ट्रायल हुआ।
यदि हम आईआईटी रुड़की, आईआईटी खड़कपुर के डिजाइन के भरोसे रहते, तो शायद ही डोबरा- चांठी पुल को सफलता मिल पाती। दुर्भाग्य से आईआईटी रुड़की, आईआईटी खड़कपुर का डिजाइन इसके काम नहीं आ सका। इनके हाथ पीछे खींच लेने पर सरकार को 2014 में इंटरनेशनल निविदाएं आमंत्रित करनी पड़ी। लेकिन सवाल यह है हमारे आईआईटी में इतनी गिरावट क्यों आ रही है। डोबरा- चांठी पुल 2006 से आईआईटी रुड़की के देखरेख बन रहा था। डिजाइन भी उसी का था। 2011 में आईआईटी रुड़की ने सरकार को लिखा कि, काम को कराने से पहले किसी और से चेक/ परीक्षण करा दे। मतलब यह है उन्हें अपने डिजाइन पर भरोषा नहीं था। चेक कौन करेगा? उनसे श्रेष्ठ ही करेगा। लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश सेतु निगम कर नहीं सकता था। उनसे आईआईटी रुड़की का बड़ा रुतबा है।
फिर आईआईटी खड़कपुर के पास इस पुल का मामाल आया। उन्होंने भी डोबरा चांठी साइड के कई दौरे किए रुड़की में जो डिजाइन दिया था उसका सारा चेंज आईटी खड़कपुर ने किया। बाद में 2013, 2014 में डिजाइन लॉन्चिंग करना था आईआईटी खड़कपुर ने कह दिया इसकी हमें जानकारी नहीं है। अर्थात उनके बस की बात नहीं है। आईआईटी खड़गपुर ने उत्तराखंड सरकार से कहा था कि, अन्य जगह से पुल की डिजाइन करा लें। यह बात आप और रुड़की 2006, 2008 में भी बोल सकते थे। तब जा कर सरकार ने ग्लोबल टेंडर कराये।
इतने वर्षो में गंगा में काफी पानी बह चुका था। जनप्रतिनिधि, स्थानीय प्रशासन, सरकार इन आईआईटी के चलते इधर गाली खा रहे थे, उधर आईआईटी कबड्डी कबड्डी कबड्डी मैच जैसा खेल रहे थे जिसमें कोई भी जीत नहीं पा रहा था।
जब आप डिजाइन इतने बड़े पुल का जानते ही नहीं थे तो 8, 10 साल खराब क्यों किए ? इसका जवाब कौन देगा ? इस बीच इनके डिजाइन पर कई घटनाएं इस पुल के बीच में हुई। 2012 में श्रीनगर का जो पुल टूटा। उसका डिजाइन भी आईआईटी ने किया था, और घटनाएं भी हुई हैं उत्तराखंड में, जिसमें आईआईटी वालों का हाथ लगा है।
2008 में आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर एन बालागन डोबरा चांठी की साइड पर खटारा ट्रॉली में चढ़ रहे थे। तो मुझे तुरंत उस दुर्घटना के बाद महसूस हुआ कि,आखिर इतने बड़े प्रोफेसर ने ऐसी जंग खा रही ट्रॉली में कदम ही क्यों रखा ?
जिस ट्राली में झटके लगते ही एक अधिशासी अभियंता की नीचे गिर कर मृत्यु हो जाती है। ऊपर ट्राली में फंसे प्रोफेसर साहब ईस्वर से अपनी जान बचाने की प्रार्थना करते हैं। सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर का मतलब, एक नजर में सड़क, पुल, ट्रॉली, गुफाओं की पहचान करना होता है। जब यह दुर्घटना हुई, मैं भी वहीं पर था। यानी वीके गुप्ता एंड कंपनी दो तीन साल से उस ट्राली का प्रयोग कर रही थीं। जो जानलेवा साबित हुई। किसी ने उस वक्त ट्राली की सुरक्षा व्यवस्था की जांच नहीं की। यहाँ तक आईआईटी ने भी नहीं।
ऐसा भी नहीं है कि आईआईटी के हर काम गलत हुए हो, टिहरी झील में दो महत्वपूर्ण झूला पुल का डिजाइन आईआईटी रुड़की ने किया था। वह 2004, 2006 में पीपलडाली, सायंसु में बने थे। वह भी झील के ऊपर बने हैं। और सफलता पूर्वक चल रहे हैं। इस मामले में हमनें पहले भी प्रशंसा की है। लेकिन हैवी वेकिल मोटर पुल के डिजाइन में समय बर्बाद हुआ है। यह सत्य है।
लेकिन पिछले 20 वर्षों से आईआईटी में बड़ी गिरावट आई है यह रुड़की, खड़कपुर की ही बात नहीं है यह देश के समस्त आईआईटी की बात है।
विश्व प्रसिद्ध सिविल इंजीनियर किम और उनके साथियों के डिजाइन को हमेशा याद रखा जाएगा। यह डोबरा चांठी ब्रिज जो भारत का सबसे बड़ा सस्पेंशन ब्रिज है के भगीरथ हैं।
मेरे लिए और मेरी इस पुल पर बुक के लिए।
फेसबुक वाल से साभार