हाई कोर्ट के आपदा प्रभावितों को 50 प्रतिशत और मुआवजा देने के सरकार को निर्देश

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अजेंद्र अजय , प्रकाश पंत  और अजय गौतम की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर निर्देश :-

मानव कंकालों की खोज को विशेष टीम गठित करने का निर्देश

आपदा प्रभावित नाबालिगों को हर माह 7500 रुपये देने के निर्देश

ग्लेशियर संरक्षण पर फिर किया निर्देशित

nainital-high-courtनैनीताल  : केदारनाथ आपदा को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश सरकार को मानव कंकालों की खोज के लिए स्पेशल टीम गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने चार धाम यात्रा को व्यवस्थित करने, यात्रा मार्ग के कस्बों के विकास का नियोजन करने और चारों धामों में खतरे की पूर्व चेतावनी का तंत्र स्थापित करने का भी आदेश दिया। इसी से संबंधित अन्य जनहित याचिकाओं में कोर्ट ने प्रभावित परिवारों को 50 प्रतिशत अधिक मुआवजा देने, पुनर्वास नीति बनाने और आपदा से प्रभावित नाबालिग बच्चों को प्रतिमाह साढ़े सात हजार रुपये देने का निर्देश दिया।
शनिवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने दिल्ली निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यात्रा मार्गों को सुरक्षित बनाने तथा इस समूचे क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि केदारनाथ आपदा के निबटने के लिए प्रदेश सरकार की कोई तैयारी कभी थी ही नहीं।

कोर्ट ने केदारनाथ में मानव कंकालों की खोज के लिए पांच विशेष टीमों के गठन का निर्देश दिया। इन टीमों के मुखिया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के पद से नीचे वाले अधिकारी नहीं होंगे। इन टीमों में एनडीआरएफ, स्थानीय पुलिस, पुलिस बल और अर्द्ध सैनिक बलों से सदस्य लिए जाएंगे।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार डीएनए सैंपल लेने के बाद धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक इन शवों का दाह संस्कार कराएगी और पहचान कर परिजनों को सूचित करेगी। इसके साथ ही चारों धामों में डाप्लर रडार, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन आदि स्थापित किए जाएंगे।

कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अनियोजित विकास को रोकने के लिए चार धाम यात्रा मार्ग के महत्वपूर्ण शहर और कस्बों का छह माह के अंदर मास्टर प्लान तैयार करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार तीर्थयात्रियों की यात्रा को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए। यात्रियों का बायोमेट्रिक डाटा रखा जाए। हेमकुं ड साहिब सहित अन्य धामों के यात्रा मार्ग पर यह भी सुनिश्चित किया जाए कि नदी में सीवेज न जाए।

कोर्ट ने देवप्रयाग, सोनप्रयाग, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग, गोपेश्वर और रुद्रपुर में ठोस कचरा निस्तारण की व्यवस्था छह माह में करने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा न होने पर संबंधित जिलाधिकारियों को कोर्ट के आदेश की अवमानना करने की कार्यवाही झेलनी होगी।

खंडपीठ ने अजेंद्र अजय तथा प्रकाश पंत की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं पर केदार आपदा में प्रभावित हुए नाबालिग बच्चों को बालिग होने तक शिक्षा-दीक्षा और भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह साढे़ सात हजार रुपए देने का भी निर्देश दिया। अजेंद्र अजय की जनहित याचिका पर कोर्ट ने आपदा में क्षतिग्रस्त घरों, दुकानों व अन्य संपत्तियों के मुआवजे के लिए उचित नीति बनाने और प्रभावित परिवारों को 50 फीसदी अधिक मुआवजा दिए जाने के भी निर्देश दिए।

कोर्ट ने चार धाम के सभी मार्गों के डामरीकरण, इनके रखरखाव हेतु आधुनिक मशीनों की तैनाती, प्रत्येक दस किलोमीटर पर धर्मशाला तथा आपात स्थिति के उपयोग के लिए खाद्य व राहत सामग्री के स्टोर निर्मित करने, उनमें समुचित सामग्री रखने, बीएसएनएल को आपदा के दौरान संचार सेवाएं तुरंत बहाल रखने की तैयारी रखने तथा गोविंदघाट और हेमकुंड धाम के बीच मठों के निर्माण के भी निर्देश दिए।

वहीँ खंडपीठ ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश सरकार को ग्लेशियर और पर्यावरण संवेदी क्षेत्रों के संरक्षण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। सरकार को खंडपीठ ने सरकार को संवेदी (इको सेंसेटिव) क्षेत्रों में भीड़ (मास मूवमेंट) की आवाजाही को नियंत्रित करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने फूलों की घाटी को प्लास्टिक फ्री जोन घोषित करते हुए वहां केवल पानी की बोतलें ले जाने की छूट दी है जो कि वापसी के दौरान प्रबंधन के पास जमा करानी होंगी। यहां फूलों या वनस्पति को नुकसान पहुंचाने पर दस हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान करने का आदेश दिया।