एनएच 58 के निर्माण में जिनकी वजह से हुई देरी उनके खिलाफ करें कार्रवाई: हाई कोर्ट

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  • हाई कोर्ट ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय (NHAI) को  दिए निर्देश

नैनीताल : हाई कोर्ट उत्तराखंड ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय (NHAI) को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, जिनकी लापरवाही से राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के निर्माण में विलंब हुआ है। न्यायालय ने साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भी निर्देशित किया कि एनएच 58 के विलंब के लिये जिम्मेदार कंपनी हरिद्वार हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड के खिलाफ एक माह के अंदर कार्रवाई अमल में लाएं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने एनएच-58 को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार प्रदेश में यातायात को सुगम बनाने के लिये जिलाधिकारियों द्वारा की गई सिफारिशों व प्रस्तावों को जल्द अमल में लाए, साथ ही सभी राष्ट्रीय राजमार्गों व राज्य मार्गों पर पर्याप्त संख्या में स्ट्रीट लाइट लगायें। कोर्ट ने सरकार को यह भी कहा कि वह प्रदेश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों व राज्य मार्गों को अतिक्रमण मुक्त करे। यात्रियों की सुविधा को देखते हुए सरकार प्राधिकरण व पीडब्ल्यूडी के अलावा सभी संबद्ध पक्षों के साथ बैठक करे और यह सुनिश्चित करें कि प्रदेश में जाम की स्थिति से निजात मिल सके।

कोर्ट ने प्राधिकरण को निर्देश दिये कि वह रुड़की व हरिद्वार के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 का निर्माण तय समयावधि में कराये। साथ ही मैसर्स हिमालयी निर्माण कंपनी को कहा कि वह तीन माह के अंदर तय समय में एनएच का रखरखाव का कार्य पूरा करे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिये कि एनएच-58 के निर्माण में हुए विलंब के लिये प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाही करें।

हरिद्वार हाईवे प्रोजेक्ट लि0 (एचएचपीएल) कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। याचिकाकर्ता अख्तर मलिक की ओर से कहा गया था कि एनएच-58 का कार्य तय समय से भी अधिक समय में पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा तय समझौते के अनुसार कार्य दो वर्ष पूर्व पूरा हो जाना चाहिए था। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि रुड़की हरिद्वार हाइवे बेहद महत्वपूर्ण है।

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