नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) की ताज़ा रिपोर्ट
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : शिक्षा के क्षेत्र में जहाँ उत्तराखंड केरल के बाद दूसरे नंबर पर है वहीँ लिंगानुपात के मामले में उत्तराखंड में पिछले दस सालों के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। यानि स्वास्थ्य विभाग का गर्भ पूर्व लिंग परीक्षण का दावा जहाँ नाकामयाब नज़र आ रहा है वहीँ सूबे के दम्पति भी कन्या भ्रूण हत्या के मामले में आगे नज़र आ रहे हैं। यह स्थिति उत्तराखंड राज्य के लिए शर्मनाक तो है ही साथ ही सूबे के विभागों के लिए भी खतरे की घंटी है कि आखिर तमाम राष्ट्रीय कार्यकमों पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च वास्तव में हो भी रहा है या इन योजनाओं के किये केंद्र व राज्य सरकार का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ केवल कागजों में ही कन्या भ्रूण हत्या व गर्भ पूर्व लिंग परीक्षण चलाया जा रहा है ।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के ताजे आकड़ों पर यदि गौर किया जाय तो देशभर के राज्यों में उत्तर भारत के राज्यों दिल्ली व उत्तराखंड की स्थिति बेहद चौकाने वाली तो ही है साथ ही चिंताजनक भी है । इन दोनों ही राज्यों में लिंगानुपात में गिरावट देखने को मिली है। साल 2005 में जहाँ दिल्ली का लिंगानुपात प्रति एक हज़ार लड़कों पर 840 लड़कियों का था, जो अब 2015 में 23 प्वाइंट गिरकर 897 पहुंच गया है। वहीँ उत्तराखंड में भी 24 प्वाइंट की गिरावट देखी गई है। वर्ष 2005 में प्रदेश में जहाँ एक हज़ार लड़कों पर 912 महिलाएं थी वही आज घटकर एक हज़ार पर 888 हो गयी है जबकि उत्तरी राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में बढ़ोतरी दिखी है। हिमाचल में 913 से 936 पहुंच गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में लिंगानुपात 902 से 922 पहुंच गया है।
वहीँ हरियाणा व पंजाब दोनों ही राज्यों में लिंगानुपात में काफी सुधार देखने को मिला है। हाल में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के मुताबिक, पंजाब ने दस सालों में लिंगानुपात में 126 प्वाइंट की बढ़ोतरी की है, जबकि हरियाणा ने 74 प्वाइंट की। जहाँ साल 2005 में पंजाब में एक हजार लड़कों के मुकाबले 734 लड़कियों का जन्म होता था, जबकि 2015 में 860 लड़कियों का। हरियाणा में भी कुछ ऐसी स्थिति थी। साल 2005 में हजार लड़कों के मुकाबले 762 लड़कियों का जन्म होता था, जो अब 836 तक पहुंच गया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के ताजे आकड़ों के अनुसार चंडीगढ़ पूरे उत्तर भारत में पहले स्थान और देश में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। सर्वे के अनुसार पिछले पांच सालों में एक हजार लड़कों के मुकाबले कुल 989 लड़कियों ने जन्म लिया है। जनगणना 2011 के मुताबिक (0-6 आयु वर्ग) चंडीगढ़ का लिंग अनुपात एक हजार लड़कों के मुकाबले 867 दर्ज किया था। चंडीगढ़ से आगे दादरा नगर हवेली है, जिसका लिंग अनुपात 1013 है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है इस इलाके का लिंग अनुपात पहले से ही काफी बेहतर रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों राज्यों में सुधार की और गुंजाइश है। सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि वो सभी मोर्चे पर काम करें। लोगों के बीच जागरूकता और फैलाई जाए। पीसीपीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए, और एनजीओ को साथ में जोड़ा जाए। उनके साथ मिलकर छोटे-छोटे इलाकों में बांटकर काम किया जाए। इससे रिजल्ट और बेहतर निकल सकते हैं। चंडीगढ़ में जो कामकाज किया जा रहा है, उसे एक मॉडल के तौर पर अपनाया जा सकता है।
उत्तरी राज्यों के आंकड़े………..
राज्य 2005-06 2015-16
हरियाणा 760 836
पंजाब 734 860
दिल्ली 840 817
उत्तराखंड 912 888
जम्मू-कश्मीर 902 922
हिमाचल 913 936
चंडीगढ़ 867 981