दो दिवसीय देहरादून लिट्रेचर फैस्ट का समापन

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’एक के पास मूंछ थी और एक के पास पूंछ थी’ हास्य कविता से लोगों को खुब गुदगुदाया

देहरादून । ओएनजीसी आॅफिसर्स क्लब में आयोजित दो दिवसीय देहरादून लिट्रेचर फैस्ट का समापन हुआ। साहित्य को बढ़ावा देने व साहित्य से जुड़े प्रख्यात भारतीय कलाकारों व लेखकों के विचारों के सार्थक आदान-प्रदान के मकसद से इस फैस्ट का आयोजन किया गया।

फैस्ट के दूसरे व अंतिम दिन पीयुष मिश्रा,डाॅ. अशोक चक्रधर, प्राची जोहर जोशी, ऋचा सैंभी, पल्लवी कोदान, असफिया रहमान, रूबी गुप्ता, नितिन जुगरान बहुगुणा, डाॅ. उषा आर.के., युगल जोशी, शत्रुजीत नाथ, अरूपा लाहिरी, दिव्या प्रकाश दुबे, व साहित्य जगत से अन्य प्रख्यात हस्तियांे ने उपस्थिति दर्ज करवायी।

फैस्ट के दूसरे दिन की शुरूआत ’आइ एम टीन एंड आई डोंट ग्रो अप’ सत्र से हुयी। इस सत्र में प्राची जोहर जोशी, ऋचा संाभी, पल्लवी कोदान ने इस सत्र की मेजबानी की। इस सत्र में किशोरों के लिए साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला गया। ऋचा संाभी ने इस सत्र के दौरान कहा कि, सभी लोगों को हर प्रकार जैसे राजनीतिक, अर्थव्यवस्था से संबंधी, थ्रिलर, उपन्यास व हर विषय से संबंधित पुस्तकें पढ़नी चाहिए। पढ़ने से शैली का विकास होता है व हमारी सोचने की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि, जब हम किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो वहां कई प्रकार के अवसरों के दरवाजे हमारे लिए खुल जाते हैं।

प्राची जोहर जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, किसी भी फिल्म, पुस्तक या अन्य विषयों को लेकर हर एक व्यक्ति के समझने का तरीका व क्षमता अलग होती है। प्राची ने कहा कि, ऐसा जरूरी नही है कि, यदि कोई बात उन्हें सही लगती है तो दूसरे अन्य व्यक्ति को भी वह बात सही लगे। उन्होंने यह भी कहा कि, किसी भी पुस्तक या फिल्म के समीक्षक उसके सही या गलत होने के निर्णायक नहीें होते हैं। जब तक लोग खुद पुस्तकें पढ़ना व फिल्म देखना शुरू नहीं करेंगे, तब तक उसके सही गलत या पसंद नापसंद का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को सुझाव दिया कि, यदि वे लिखने में रूचि रखते हैं तो बिना किसी सही समय का इंतजार कर लेखन कार्य प्रारंभ कर देना चाहिए।

फैस्ट को आगे बढ़ाते हुए ’चक्रधर के चमन में’ सत्र आयोजित किया गया। अशोक चक्रधर भारत के श्रेष्ठ लेखक, संजीदा समीक्षक, चित्रकार, प्रोफेसर और लोकप्रिय कवि हैं। अशोक हास्य व्यंग्य के प्रख्यात विशेषज्ञ भी हैं। ’चक्रधर के चमन में’ सत्र में अशोक ने अपने विचारों को हास्य व्यंग्य के माध्यम से लोगों तक पहंुचाया, साथ ही अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने डेमोक्रेसी पर अपने विचारों को हास्य व्यंग्य के माध्यम से लोगों के साथ साझा किये। इस सत्र के दौरान सभी लोग हंसी के साथ सत्र में उपस्थित रहे। अशोक ने ’एक के पास मूछ थी और एक के पास पूंछ थी’ हास्य कविता से लोगों को खुब गुदगुदाया।

’आइज वाइड शट’ सत्र में असफिया रहमान, रूबी गुप्ता, नितिन जुगरान बहुगुणा ने सनसनीखेज साहित्य पर चर्चा की। इन्होंने साहित्य और कला के विषय पर विस्तार से चर्चा की। ’इम्पैक्ट आॅफ द लिट्रेचर आॅन आटर््स’ पौराणिक कथाओं पर आधारित सत्र में डाॅ. उषा आरके, युगल जोशी, सुरजीत नाथ ने पौराणिक कथाओं की खोज पर चर्चा की। इस सत्र के दौरान अपूर्वा लहरी ने शास्त्रीय भरतनाट्यम की एक शानदार प्रस्तुति देकर सभी लोगों का दिल जीता। अपूर्वा कोलकाता की भावुक नर्तकी है। सुचित्रा कृष्णामूर्ति ने इस मौके पर अपनी पुस्तक ’घोस्ट आॅन द लेज’ पुस्तक का अनावरण भी किया। दिव्या प्रकाश दुबे की स्टोरी बाजी़ द्वारा दो दिवसीय फैस्ट का समापन हुआ।

राज शेखर के साथ स्वरूप बत्रा ने ’मजनू का टीला’ नामक नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया। ’मजनू का टीला’ छोटी कहानियों, कविताओं, और लाइव संगीत का मिश्रण है। ’मजनू का टीला’ विचारों, पुरानी यादों की भावनाआंे, आधुनिक दिनों के संकट, नयी व पुरानी प्रवास और शाश्वत संघर्ष की भावनाओं से संबंधित है। दो दिवसीय देहरादून लिट्रेचर फैस्ट के अंत में अभिनेता पीयूष मिश्रा ने अपनी पुस्तक ’कुछ इश्क किया कुछ काम’ पर लोंगों के साथ बातचीत के साथ चर्चा की। यह पुस्तक 20 साल की अवधि में कविताओं के प्रति प्रेम, काम और बेचैनी का संकलन है।

इस दो दिवसीय फैस्ट का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों के साहित्य प्रेमियों, प्रशंसनीय भारतीय कलाकार, विभिन्न क्षेत्रों के लेखक, थिएटर जगत के कलाकारों, व्यापार जगत के नेताओं व अन्य क्षेत्रों की प्रख्यात हस्तियां को दूनवासियों के साथ जोड़ना था।

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