- जांच के दौरान कई बिंदुओं पर खामियां भी हुई हैं उजागर
- विवादित बड़े अधिकारी के सलाहकार से आरोपी इंजीनियरों की सांठ-गांठ
- सड़क के 91 में से 57 प्वाइंट्स पर ही इंजीनियर्स ने करवाया काम
- आरोपी इंजीनियरों ने सांठ-गांठ की कोशिश के बाद मामले को ठंडे बस्ते में दिया डाल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून-मसूरी सड़क चौड़ीकरण का सपना करोड़ो खर्च करके भी अधूरा है..वजह है लोकनिर्माण विभाग के वो इंजीनियर्स जिन्होंने भारी अनियमितता कर न केवल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को धराशायी कर दिया बल्कि करोड़ों खर्च का राज्य को कोई फायदा नहीं हुआ। मजे की बात तो ये है कि मामले में जांच के दौरान कई बिंदुओं पर खामियां भी उजागर हो गयी लेकिन बावजूद इसके इंजीनियरों का आज तक बाल भी बांका नही हो पाया…ये कैसे मुमकिन हुआ अब इसके पीछे का भी खेल समझिए….सूत्र बताते हैं कि शासन के विवादित बड़े अधिकारी के सलाहकार से आरोपी इंजीनियरों ने सांठ-गांठ की कोशिश के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ये बड़ा अधिकारी कौन है इसका नाम तो हम इसकी और तफ्तीश करने के बाद बताएंगे लेकिन पहले जानिए देहरादून-मसूरी सड़क चौड़ीकरण का विवादित मामला…
21 ऐसी जगहों पर काम कर दिया गया जहां सर्वे में ही नहीं था जिक्र
साल 2013-14 में सरकार ने पर्यटक स्थल मसूरी को वाल्वो बस की पहुंच तक लाने का फैसला किया था और इसके लिए मसूरी तक सड़क के कई टर्निंग प्वाइंट को चौड़ा करने पर काम शुरू करवा दिया गया। सरकार ने इस काम के लिए 15 करोड़ की रकम भी जारी कर दी। काम शुरू हुआ और कुल 91 स्थानों को सर्वे के बाद चौड़ा करने या रिटेनिंग वॉल बनाने के लिए चिन्हित किया गया। यहां 91 में से 57 प्वाइंट्स पर ही इंजीनियर्स ने काम करवाया, यहां भी 21 ऐसी जगहों पर काम कर दिया गया जहां काम करवाने के लिए सर्वे में जिक्र ही नही था। लिहाजा करोड़ों रुपयों को आधे अधूरे काम मे ही खत्म बता दिया गया।
मामला खुला तो जांच बैठ गयी जांच में कई बिंदुओं में पाई अनियमितताएं
अब जब मामला खुला तो इस पर जांच बैठ गयी जांच में कई बिंदुओं में अनियमितताएं पाई गई। जिसका शासन ने भी संज्ञान लिया, शासन में संयुक्त सचिव ने इस जांच के आधार पर आरोपी इंजीनियर्स से जवाब मांगने के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजा। जिसका संभवतः जवाब भी आया लेकिन अब मामला शासन के उस बड़े अधिकारी के यहां जाकर थम गया।
एक बार फिर इसी काम को एनएचएआई को इसी काम को देने की तैयारी
मामले में खास बात ये है कि एक बार फिर इस काम को एनएचएआई को इसी काम को देने की तैयारी की जा रही है, खबर है कि 53 करोड़ में इस काम के लिए प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। सवाल ये की जब इस प्रोजेक्ट पर लोकनिर्माण विभाग काम कर चुका है तो एनएचएआई को काम क्यों दिया जा रहा है। और ऐसा क्या हुआ कि अब तक इन इंजीनियर्स पर कार्रवाई नहीं हुई…सवाल ये भी है कि क्या सांठ गांठ की शासन के उक्त अधिकारी को जानकारी नहीं या फिर सब घालमेल मर्जी उनकी से किया जा रहा है। और यदि ऐसा कुछ नहीं है तो क्यों फ़ाइल पर धूल जमाई जा रही है। क्यों नहीं उस फाइल को बाहर निकाल कर प्रदेश को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले और अपने कर्तव्यों से विश्वासघात करने वाले इंजीनियरों से लेकर उस बड़े अधिकारी की जांच करवायी जाती जिसके वे दोषी हैं ?