सीएम ने मेडिकल कालेज़ों में फीस वृद्धि का निर्णय लिया वापस

0
579

देहरादून : आखिरकार निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने के फैसले पर रोलबैक करना पड़ा। छात्रों व अभिभावकों में उपजे आक्रोश के बाद सरकार ने भी अपना रुख बदलते हुए निजी मेडिकल कॉलेजों को इस संबंध में निर्देश दिए। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के निजी मेडिकल संस्थानों ने मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद मेडिकल कालेज़ों में फीस वृद्धि का निर्णय वापस ले लिया है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधियों द्वारा पूर्व में उनसे भेंट कर अवगत कराया था कि उन्हें संस्थानों की अवस्थापना सुविधाओं आदि के विकास के लिये बड़ी धनराशि व्यय करनी पडती है। इसके लिये उनके द्वारा मेडिकल छात्रों की फीस में वृद्धि का अनुरोध किया गया था। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस में कई गुना वृद्धि किये जाने तथा कई अविभावकों द्वारा भी उन्हें फीस वृद्धि के संबंध में अवगत कराये जाने पर मेडिकल छात्रों के हित में संस्थानों को फीस वृद्धि वापस लेने को निर्देशित किया गया। जिस पर उनके द्वारा फीस वृद्धि वापस लेने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मेडिकल संस्थानों द्वारा फीस वृद्धि वापस लिया जाना मेडिकल छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला बताया। उन्होंने कहा कि इससे मेडिकल के छात्रों को फायदा होगा। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी को भी मनमानी नही करने दी जायेगी यदि कोई मनमानी करेगा तो उसके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल काॅलेज के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जायेगा। 

एनसीईआरटी की पुस्तकों को प्रदेश के विद्यालयों में लागू करने के निर्णय के संबंध में निजी स्कूल प्रबंधकों के असंतोष के संबंध में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि इस संबंध में उपयुक्त वार्ता को सुना जायेगा।

उधर, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने वर्ष 2016-17 और 2017-18 में एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए बढ़ाया गया शुल्क वापस ले लिया। इस संबंध में कॉलेज प्राचार्य की ओर से लिखित नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, कॉलेज में छात्रों व अभिभावकों का आंदोलन जारी है। कॉलेज प्राचार्य की ओर से निकले नोटिस को लेकर आंदोलनकारी छात्रों व अभिभावकों में संशय है। उनका कहना है कि प्राचार्य छुट्टी पर हैं, लिहाजा उनकी ओर से जारी आदेश पर भरोसा न करते हुए वे आंदोलन जारी रखे हुए हैं।