सीएम ने स्वास्थ्य विभाग के टैक्सी बिल घोटाले में कार्रवाई को मंजूरी

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  • अंतिम मुहर के लिए राजभवन भेजी गई दोषियों की फाइल
  • पूर्व मुख्यमंत्रियों के निजी सचिवों को बचा रहा है सचिवालय प्रशासन 

देहरादून : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का वादा निभाते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने हुए स्वास्थ्य विभाग के चर्चित टैक्सी बिल घोटाले के 12 दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को हरी झंडी दे दी है । मामले पर अंतिम मुहर अब राजभवन से लगनी है लिहाज़ा दोषियों पर कार्रवाई की औपचारिक अनुमति के लिए इस मामले की फाइल को राजभवन भेज दिया गया है। मामले में सचिव स्वास्थ्य नितेश झा का कहना है कि टैक्सी बिल घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई का अनुमोदन मिल गया है। कार्रवाई की अंतिम मंजूरी के लिए फाइल राजभवन भेजी गई है। इस घोटाले के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। 

इस मामले में दोषी अफसरों से सरकारी ख़ज़ाने से घोटाले की रकम की वसूली का फैसला किया गया है। स्वास्थ्य विभाग में 2009 से 2013 तक टैक्सी बिलों के भुगतान के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ का घोटाला हुआ था। विभागीय जांच के बाद शासन स्तर पर कराई गई कई बार की जांच में घोटाले की पुष्टि हुई। मामले में कुल 12 सीएमओ, सीएमएस स्तर के अधिकारी और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के पांच निजी सचिव दोषी पाए गए। दोषी पाए गए अधिकारियों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि आठ रिटायर हो चुके हैं। 

गौरतलब हो कि इस मामले की फाइल काफी लम्बे समय से दबी हुई थी। लेकिन अब भ्रष्टाचार पर सख्त रुख अपनाते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने कार्रवाई को मंजूरी दे दी है। सीएम की मंजूरी के बाद फाइल राजभवन भेजी गई है। टैक्सी बिल घोटाले की जांच कई जिलों के अलग अलग थानों में भी चल रही है। शासन स्तर से प्रशासनिक आधार पर कार्रवाई की जा रही है। जबकि पुलिस इस मामले में आपराधिक षड़यंत्र की जांच कर रही है।

वहीँ इस टैक्सी बिल घोटाले में दो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा के पांच निजी सचिव भी शामिल बताये जा रहे थे और बाद में जांच में इन्हे भी इस घोटाले के लिए दोषी पाया गया था। लेकिन सचिवालय प्रशासन इन पर कार्रवाई से बच रहा है। लम्बे समय से निजी सचिवों पर कार्रवाई नहीं की गई है। 

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