सिविल जज दीपाली हुई नाबालिग बच्ची के शोषण के आरोप में बर्खास्त

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उच्च न्यायालय नैनीताल की पूर्ण पीठ की सिफारिश पर हुई बर्खास्त

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : प्रदेश में पहली बार किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी न्यायाधीश को हाई कोर्ट की सिफारिश के बाद बर्खास्त किया गया है। उत्तराखंड शासन ने हरिद्वार की तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा को नाबालिग बच्ची के शोषण के मामले पर बर्खास्त कर दिया है। हालांकि उत्तराखंड शासन ने यह कार्रवाई उच्च न्यायालय नैनीताल की पूर्ण पीठ की सिफारिश पर की है जिसके आदेश अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने जारी किए।
वहीं सचिव न्याय प्रेम सिंह खिमाल ने न्यायिक सेवा की अधिकारी दीपाली शर्मा की सेवाएं समाप्त करने की पुष्टि करते हुए बताया कि नैनीताल हाईकोर्ट की वेबसाइट पर भी आदेश की प्रति अपलोड कर दी गई है।
गौरतलब हो कि हरिद्वार की तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा पर पिछले साल एक नाबालिग बालिका को अपने आवास पर रखने और उसका शारीरिक और मानसिक शोषण करने का आरोप लगा था । छापे की कार्रवाई में बालिका उनके घर पर बरामद हुई थी।
इसके बाद आरोपों की पुष्टि होने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। पूरे प्रकरण की जांच भी हुई। मामले में उच्च न्यायालय की फुल बेंच ने दीपाली शर्मा की सेवाएं समाप्त करने का संकल्प पारित किया था, जिस पर शासन ने कार्रवाई की है।
मामले में जिला जज की मौजूदगी में ही जिला अस्पताल में किशोरी का मेडिकल परीक्षण हुआ था, जिसमें उसके शरीर पर चोटों के 20 निशान पाए गए थे। जब कार्रवाई हुई थी उस वक्त के जिला जज राजेंद्र सिंह चौहान तत्कालीन एसएसपी किशन कुमार वीके, एडीजे अमरिंदर सिंह वहां मौजूद थे।
वहीं उस वक्त एएसपी रचिता जुयाल की ओर से सिडकुल थाने में जज दीपाली शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। अप्रैल में सीओ कनखल रहे मनोज कात्याल ने दीपाली शर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।