सीएम पद को लेकर अभी तक सस्पेंस बरकरार
देहरादून : उत्तराखंड में सरकार की कमान कौन संभालेगा, इसका फैसला शुक्रवार को होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में हो जाएगा। नए मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। सरकार की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिलेगी या प्रकाश पंत को, इस पर सस्पेंस कायम है।
रावत और पंत की पैरवी करने वाले प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट बृहस्पतिवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात करने के बाद देहरादून रवाना हो गए। सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के लिए नाम तय नहीं होने के कारण नेतृत्व ने उत्तराखंड का भी चेहरा तय नहीं किया है।
उत्तराखंड सीएम के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में तो जरूर हैं, लेकिन अधिकृत तौर पर सीएम पद पर किसी के चुनाव को लेकर अभी सस्पेंस बरकरार है। मुख्यमंत्री पद के लिए जहाँ त्रिवेंद्र रावत सहित प्रकाश पन्त व सतपाल महाराज के नाम को दिनभर चर्चा वही वहीँ शाम होते -होते पार्टी के अध्यक्ष अजय भट्ट का नाम भी इस सूची में शुमार हो गया। लेकिन राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री पद के लिए सूची में शामिल हर नेता के समर्थक अपने नेता के पक्ष में मुख्यमंत्री पद की घोषणा करते नज़र आये।
माना जा रहा है कि रणनीतिक कारणों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं कर पाने के कारण नेतृत्व ने उत्तराखंड पर अंतिम विचार नहीं किया है। हालांकि इस पद की दौर में त्रिवेंद्र और पंत के ही नाम हैं। नेतृत्व इन्हीं दो चेहरों में से एक को सरकार की कमान देगा।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के चार दिन बाद भी केंद्रीय नेतृत्व भाजपा विधानमंडल दल के नेता के नाम पर अंतिम राय नहीं बना पाया है। माना जा रहा है कि अब भी सीएम के नाम पर मुहर और अधिकृत घोषणा में 48 घंटे से भी ज्यादा समय लग सकता है। अटकलें थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की ओर से नामित पर्यवेक्षक गुरुवार को दून पहुचं जाएंगे, इसके विपरीत पता चला है कि पर्यवेक्षक सरोज पांडे और नरेंद्र तोमर को विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए अभी भी अमित शाह की हरी झंडी का इंतजार है।
कौन बनेगा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री? उत्तराखंड में इस सवाल के जवाब का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है। सीएम की दौड़ त्रिवेंद्र रावत और प्रकाश पंत सबसे आगे बताए जा रहे हैं।
संभवत: शुक्रवार को विधानमंडलदल की बैठक के बाद ही की जाएगी। बताया जा रहा है कि आरएसएस त्रिवेंद्र सिंह रावत की जमकर पैरवी कर रहा है। प्रकाश पंत और त्रिवेंद्र रावत सीएम की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसी चेहरे को थोपने की बजाय सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री का चुनाव करने की कवायद चल रही है। यही वजह है कि जीतकर आए सभी विधायकों और पूर्व मुख्यमंत्रियों से चर्चा की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक प्रकाश पंत और त्रिवेंद्र रावत सीएम की रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। प्रकाश पंत के नाम पर भाजपा के कुमाऊं और गढ़वाल के सभी गुट कमोबेश सहमत नजर आते हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि स्वयं सेवक संघ त्रिवेंद्र रावत की जमकर पैरवी कर रहा है।
बताया जा रहा है कि पिथौरागढ से विधायक प्रकाश पंत के नाम पर भी सहमति बन सकती है। भगत सिंह कोश्यारी के प्रकाश पंत का नाम आगे करने के बाद खंडूरी कैँप ने भी विरोध नहीं किया है। लेकिन अब जिस तरह कि खबरें आ रही हैं, उससे लगता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। अगर आरएसएस की चली तो त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उत्तराखंड में भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में गुरुवार देर शाम तक सीएम के नाम पर फैसला लिया जा सकता है है।
कौन हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत
त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार डोईवाला से जीतकर तीसरी बार विधायक बने हैं। रावत आरएसएस की पूष्ठभूमि से आते हैं। इसके आलवा उत्तराखंड में पहले विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र रावत 2002 और इसके बाद 2007 में विधायक बने। लेकिन रावत 2012 और उसके बाद डोईवाला में उपचुनाव हार गए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में भी त्रिवेंद्र रावत शामिल रहे, लेकिन उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को प्रदेश भाजपा की कमान मिली। इसके बाद टीम राजनाथ ने त्रिवेंद्र रावत को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव और यूपी के सहप्रभारी बनाया गया। फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत झारखंड के प्रभारी भी हैं। आरएसएस उत्तराखंड के सीएम के रूप में त्रिवेंद्र रावत की पैरवी कर रहा है।
प्रकाश पंत को भी जानिए
प्रकाश पंत का जन्म अविभाजित उत्तरप्रदेश के कुमाऊं मंडल के गंगोली हाट गांव में हुआ। पेशे से पंत पिथौरगढ़ के सरकारी अस्पताल में फार्मासिस्ट थे। इसके बाद प्रकाश पंत ने राजनीति में प्रवेश किया और पिथौरागढ़ नगर पालिका में पार्षद चुने गए।
इसके बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) चुने गए। 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अंतरिम सरकार में विधानसभा अध्यक्ष बने।
साल 2002 राज्य के पहले आम चुनाव में प्रकाश पंत पिथौरागढ़ से विधायक चु़ने गए। इसके बाद 2007 में भी प्रकाश पंत ने पिथौरागढ़ से विधायक का चुनाव जीता और बीसी खंडूरी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री बने। 2012 में प्रकाश पंत कांग्रेस के मयूक महर से विधानसभा का चुनाव हार गए। 2017 में एक बार फिर प्रकाश पंत पिथौरागढ़ से चुनाव जीते।