बेटी की पढ़ाई के लिए खुद की बेची किडनी और बन गयी रैकेट की एजेंट

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  • किडनी के एवज में मिलते थे पचास हजार रुपये से एक लाख रुपये तक
  • स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में किडनी तस्करी का धंधा चला रही थी चांदना 
  • प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है किडनी कांड की जांच 
  • रैकेट सरगना अमित का बेटा अक्षय समेत अभी भी तीन आरोपी हैं फरार
  • किडनी मामले में  अब तक 15 हो चुके हैं गिरफ्तार

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून  :  चांदना गुड़िया से पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि बेटी की पढ़ाई के लिए रुपये नहीं होने पर साढ़े चार लाख रुपये में अपनी किडनी बेचने के बाद वह किडनी रैकेट से जुड़ी और एजेंट बन गई। चांदना ने पुलिस को बताया कि उसने करीब दो वर्ष पहले पश्चिम बंगाल के समाचार पत्रों में किडनी डोनेट करने पर मदद का विज्ञापन पढ़ा। उसमें दिए गए नंबर पर फोन किया तो किडनी रैकेट सरगना अमित राउत और उसकी टीम ने साढ़े चार लाख रुपये में चांदना की किडनी निकालकर अपने ग्राहक को ट्रांसप्लांट कर दी।  

यह बात बीते वर्ष 12 सितंबर को लालतप्पड़ स्थित गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में पकड़े गए किडनी कांड में फरार एजेंट चांदना गुड़िया (40) को हावड़ा के जगाछा स्थित जीआईपी  कॉलोनी से गिरफ्तार कर सोमवार रात डोईवाला थाना पुलिस से पूछताछ के बाद कही। 12 सितंबर 2017 को लालतप्पड़ स्थित उत्तरांचल डेंटल कॉलेज में संचालित हो रहे गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के धंधे का भंडाफोड़ हुआ था। कुछ लोगों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया, जबकि रैकेट के सरगना अमित राऊत को बाद में गिरफ्तार किया गया था।

उसने बताया रुपयों के लालच में इसके बाद चांदना किडनी रैकेट गैंग से जुड़ गई और लोगों को रुपयों का झांसा देकर वहां से करीब एक दर्जन ग्राहक किडनी बेचने के लिए लालतप्पड़ भेजे। चांदना को इसके एवज में पचास हजार रुपये से एक लाख रुपये तक मिलते थे। लालतप्पड़ में किडनी रैकेट पकड़े जाने के पहले चांदना रैकेट संचालकों के संपर्क में थी। लेकिन जैसे ही गैंग के पकड़े जाने का पता लगा तो वह अंडर ग्राउंड हो गई और हावड़ा में जाकर किराए का घर लेकर टिफिन सप्लाई का काम शुरू कर दिया।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि चांदना की हावड़ा में होने की भनक लगने पर लालतप्पड़ चौकी इंचार्ज के साथ पुलिस टीम वहां भेजी गई। दून पुलिस ने हवाड़ा पुलिस की मदद से चांदना को गिरफ्तार किया और पांच दिन की ट्रांजिट रिमांड पर लेकर दून आई है। आरोप है कि पश्चिम बंगाल के जगाछा स्थित जीआईपी कालोनी में वह स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में किडनी तस्करी का धंधा चला रही थी। आरोप है कि वर्ष 2017 में हावड़ा की दो महिलाओं को वह उत्तराखंड के हरिद्वार लाई। वहां से धोखे से लाल तप्पड़ लाकर उनकी किडनी निकलवा दी गई।

किडनी रैकेट के गिरफ्तार सरगना अमित राऊत की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रही है। गिरफ्तारी के बाद उसके कब्जे से 35 लाख रुपये मिले थे। सूत्रों के मुताबिक ईडी इस बात की भी जानकारी जुटा रहा है कि इस धन के लेनदेन में हवाला नेटवर्क तो शामिल नहीं है। इस तरह के साक्ष्य मिलने के बाद ईडी उसके खिलाफ मनी लॉड्रिंग का केस भी दर्ज कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2015 में भी अमित के 72 लाख रुपये विदेश से देश में हवाला के जरिए लाने का मामला सामने आया था। पुलिस ने अब तक की रिपोर्ट पुलिस ने प्रवर्तन निदेशालय को भेज दी है। इसमें उसकी चल अचल संपत्ति का ब्योरा शामिल है।

बीते वर्ष 12 सितंबर को किडनी रैकेट को लेकर मुकदमा दर्ज कर दून पुलिस ने रैकेट सरगना अमित को बीते वर्ष 16 सितंबर को पंचकूला के सेक्टर -18 स्थित पल्लवी नामक होटल से गिरफ्तार किया था। रैकेट से जुड़े 15 लोगों को पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें नेपाल का डाक्टर दंपति भी शामिल है। हालांकि अभी रैकेट सरगना अमित का बेटा अक्षय समेत तीन आरोपी फरार चल रहे हैं।