ब्यूरोक्रेट्स ने की एक साल में दर्जनों विदेश यात्रायें, लेकिन नतीजा शून्य !

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  • सूबे के ब्यूरोक्रेट विदेश यात्राओं  के नाम पर मार रहे हैं मौज़ 
  • विदेश यात्राओं का राज्य को मिला क्या लाभ किसी को नहीं जानकारी 
  • न पैसे का हिसाब न खर्चे का हिसाब सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है 
  • चर्चित पंकज कुमार पांडेय ने की एक साल में तीन-तीन विदेश यात्रायें 
  • निजी विदेश दौरों की जानकारी देने से आखिर क्यों कतरा रहा है शासन 

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपयों के कर्ज में डूबे उत्तराखंड राज्य के ब्यूरोक्रेटस विदेश यात्राओं  के नाम पर मौज़ मार रहे हैं , सबसे ख़ास बात तो यह है कि उत्तराखंड के जिन

ब्यूरोक्रेटस  ने पिछले एक साल के दौरान विदेश यात्रायें की उनमें से अधिकाँश सूबे की ब्यूरोक्रेसी में खासे चर्चित रहे हैं।  इतना ही नहीं इन ब्यूरोक्रेटस की विदेश यात्राओं से राज्य को क्या लाभ मिला यह तो राज्य के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक न तो कुछ पता चला और न ही राज्य में कहीं कुछ दिखाई दिया इतना ही नहीं इस प्रदेश के ब्यूरोक्रेटस  ने देश के कुछ एक राज्यों की तरह ना ही शासन में अपने भ्रमण के दौरान अध्ययन की ही रिपोर्ट दी कि यदि अमुक देश की तरह यहाँ  फलां योजना लागू की जाय तो राज्य को या राज्य वासियों  को उसका लाभ मिल सकता है। 

सूबे के ब्यूरोक्रेटस की विदेश यात्राओं पर सूचना अधिकार कार्यकर्ता राकेश बर्थवाल ने जब उत्तराखंड शासन से सूबे के ब्यूरोक्रेटस  की विदेश यात्राओं की जानकारी मांगनी चाही तो आरटीआई से जुड़े ब्यूरोक्रेटस  ने सीधे जवाब देने के बजाय आरटीआई कार्यकर्ता को गुमराह करने का पूरा प्रयास किया।यही कारण है कि आरटीआई कार्यकर्ता को शेष जानकारी के लिए राज्य सूचना आयोग में अपील करनी पड़ी है।  हालाँकि शासन ने जितनी और जो भी जानकारियां आरटीआई कार्यकर्ता को मुहैया करवायी है वह भी अपने आप में काफी चौंकाने वाली  हैं। जवाब में कहा गया है कि ब्यूरोक्रेटस की यात्राओं का उद्देश्य तो शासन में उपलब्ध है लेकिन इसके अलावा शासन के पास कोई जानकारी नहीं है।  पत्र में कहा गया है कि जहाँ तक ब्यूरोक्रेटस की विदेश यात्राओं से राज्य को क्या लाभ हुआ इसकी जानकारी सम्बंधित विभाग से प्राप्त की जा सकती है। वहीँ सूचना अधिकार कार्यकर्ता राकेश बर्थवाल ने बताया उनका उद्देश्य साफ़ है वे इसलिए जानकारी चाह रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि सूबे के अधिकारियों ने जनता का कितना रुपया ब्यरोक्रेट्स की विदेश यात्राओं पर खर्च किया गया।  

इस सूचना के अधिकार में मांगी गयी जानकारी जिसको उत्तराखंड शासन देने से कतरा रहा है उसमे सूबे के अधिकारियों कि निजी यात्राओं कि जानकारी भी शामिल है।  आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार उन्होंने कई अधिकारियों की निजी यात्राओं की भी जानकारी और उनकी इन यात्राओं पर होने वाले खर्च की जानकारी चाही थी लेकिन शासन ने जवाब ही घुमा दिया वहीँ आरटीआई में सूबे में तैनात आईपीएस अधिकारीयों की भी जानकारी चाही थी जिसे शासन ने जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर दिया।  

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार विदेश यात्राओं का सबसे ज्यादा लुत्फ़ चर्चित अपर सचिव पंकज कुमार पांडेय द्वारा लिया गया इन्होने एक साल  में तीन-तीन  विदेश यात्रायें की। लेकिन इन यात्राओं पर कितना सरकारी खर्च किया इसकी जानकारी न तो प्रदेश सरकार को दी और न ही भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय को ही दी है।  इतना ही नहीं इन यात्राओं में इन्होने अपना कितना पैसा खर्च किया उसकी जानकारी आयकर विभाग तक को अपनी आयकर रिटर्न तक में नहीं दी। इस एक साल में उनकी पहली विदेश यात्रा 19 जून 2017 से 23 जून 2017 तक इंडिया स्किल सप्ताह में भाग लेने के लिए थी जिसका खर्च उत्तराखंड स्किल विकास कमेटी द्वारा किया गया। इनके द्वारा एक बार फिर 14 अक्टूबर 2017 से 19 अक्टूबर 2017 तक अबू धाबी की यात्रा की गयी वहीँ इन्होने फिर 13  नवंबर 2017 से 17 नवंबर 2017 तक इंग्लैंड की यात्रा की। पूर्व संयुक्त सचिव सी. रवि शंकर ने 20 मार्च 2017 से 22 मार्च 2017 तक बैंकॉक में आपदा प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जिसका खर्च विश्व बैंक पोषित कार्यक्रम UDRP द्वारा किया गया। इतना ही नहीं सूत्रों ने तो यहाँ तक बताया है कि इनकी इन यात्राओं में इनके कई चहेतों ने भी इनके साथ गुलछर्रे उड़ाए जबकि वे संविदा कर्मचारी थे। 

 

  • जानिए अन्य  किन-किन अधिकारियों ने कब -कब की विदेश यात्रायें 
  • ”जायका” ने दिया विदेश यात्राओं का जायका 

सूबे से VRS ले चुके प्रमुख सचिव उमाकांत पंवार ने अपने इस्तीफे से तीन माह पूर्व इथोपिया की यात्रा हाइड्रो पावर कांग्रेस में भाग लेने के लिए  9 मई से 11 मई 2017 तक की जिसका पूरा खर्च उत्तराखंड जल विद्युत निगम द्वारा वहन किया गया।

सचिव अमित सिंह नेगी ने ब्रुसेल्ल बेल्जियम की यात्रा विश्व पुनर्निर्माण सम्मलेन में भाग लेने के लिए 6 जून 2017से 8 जून 2017 तक की जिसका खर्च विश्व बैंक द्वारा किया गया। 

सचिव आर.मिनाक्षी सुंदरम द्वारा 14 जुलाई 2017 से  21 जुलाई 2017 तक अंतर्राष्ट्रीय  पर्यटन सम्मलेन जो टर्की ,ऑस्ट्रिया और फ्रांस मेंआयोजित किया गया था विदेश दौरा किया गया ,इनके इस विदेश दौरे का पूरा खर्चा उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद् द्वारा वहां किया गया। 

वहीँ तत्कालीन मुख्यसचिव एस. रामास्वामी द्वारा स्टडी टूर के नाम से जापान की  यात्रा 4 सितम्बर 2017 से लेकर 14 सितम्बर 2017 के बीच की गयी जिसका खर्चा जायका द्वारा किया गया। 

सिडकुल के महाप्रबंधक डॉ. आर राजेश कुमार द्वारा सिंगापूर में आयोजित होने वाले फिनटेक फेस्टिवल में  भाग लेने के लिए 13 नवम्बर 2017 से 17 नवंबर 2017 तक विदेश यात्रा  की गयी जिसका खर्च सिडकुल द्वारा वहन किया गया। वहीँ नियोजन विभाग के डॉ. रणजीत कुमार सिन्हा ने 2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक किसी कार्यशाला में भाग लेनेके लिए मनीला की यात्रा की गयी जिसका खर्च यूएनडीपी  द्वारा उठाया गया। 

वहीँ वर्तमान जिलाधिकारी नैनीताल विनोद कुमार सुमन ने आपदा प्रबंधन विभाग में रहते हुए जापान में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में 23 अक्टूबर से 10 नवंबर 2017 तक विदेश यात्रा की जिसका खर्च भी जायका द्वारा उठाया गया। 

उत्तराखंड के चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में एक चंद्रेश कुमार यादव ने अमेरिका के वाशिंगटन में ग्लोबल फ्लैगशिप कोर्स के लिए 23 अक्टूबर 2017 से 31 अक्टूबर 2017 तक विदेश यात्रा की जिसका खर्च उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलोपमेन्ट प्रोजेक्ट द्वारा उठाया गया। 

डॉ.वी. षणमुगम संयुक्त सचिव लोक निर्माण विभाग द्वारा जापान में आयोजित होने वाले अल्प कालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम  में  भाग लेने के लिए 23 अक्टूबर 2017 से 10 नवंबर 2017 तक विदेश यात्रा की जिसका खर्चा भी जायका द्वारा उठाया गया। 

वहीँ प्रभारी सचिव वन एवं पर्यावरण अरविन्द सिंह हयांकी ने जापान में आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 23 अक्टूबर 2017 से 10 नवंबर 2017 तक विदेश यात्रा की जिसका खर्चा भी जायका द्वारा उठाया गया। 

जबकि डी सैंथिल पांडियन ने क्रॉस बॉर्डर ट्रांसपोर्ट को लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू की एक दिवसीय यात्रा 23 फरवरी 2017 को की.वहीँ इसी बैठक में शामिल होने के लिए महाप्रबंधक परिवहन निगम बृजेश कुमार संत ने  भी नेपाल की यात्रा की। 

लेकिन इन्होने 13 जनवरी 2017 से 20 जनवरी 2018 तक एक बार पीर स्टडी टूर के नाम पर ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की जिसका खर्चा एसोसिएशन ऑफ़ स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट भारत सरकार  द्वारा वहन किया गया। 

इन विदेश यात्राओं में किस अधिकारी पर किस विभाग ने कितना पैसा खर्च किया इसकी जानकारी सूचना  के अधिकार के तहत नहीं दी गयी जबकि इन ब्यूरोक्रेट्स की तमाम विदेश यात्रायें सरकारी खर्च पर बताई गई हैं  जिसके खर्च का लेखा -जोखा सम्बंधित विभागों के पास अवश्य होगा लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता को शासन द्वारा बिलावजह टहलाया जा रहा है कि वह खुद ही विभागों से विदेश यात्राओं के खर्चे की जानकारी जुटाए। यानि दाल में कहीं न कहीं कुछ काला जरूर है जिसे उत्तराखंड शासन जानबूझकर छिपाना चाहता है।  इतना ही नहीं यह बात भी दीगर है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी वह जब तक सरकारी सेवा में है या लोक सेवक है उसकी हर तरह की जानकारी को पूछने का अधिकार सूचना के अधिकार अधिनियम में स्पष्ट किया गया है।  चाही गयी जानकारी को न तो शासन छिपा सकता है और न लोक सेवक।  लेकिन उत्तराखंड में इसके उलट कार्य किया जा रहा है यहाँ शासन ही  जनता के आँखों पर धूल झोकनेका प्रयास करता है।