COVID-19 के दौरान खुद की देखभाल के लिए ये हैं कुछ आयुर्वेदिक उपाय

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आयुर्वेद का यह सांकेतिक चित्र है

कोविड-19 की कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन निवारक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं

आयुष मंत्रालय ने श्वसन संबंधी स्वास्थ्य के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों के हवाले से बताए उपाय

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली। शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बेहतर करना शरीर को निरोगी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम सभी जानते हैं कि अभी तक कोविड-19 की कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन इस समय निवारक उपाय करना अच्छा रहेगा, क्‍योंकि इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय किए जा सकते हैं।

जीवन का विज्ञान होने के नाते आयुर्वेद स्वस्थ एवं प्रसन्‍न रहने के लिए प्रकृति के उपहारों के इस्‍तेमाल पर जोर देता है। स्‍वस्‍थ जीवन के लिए निवारक उपाय संबंधी आयुर्वेद का व्यापक ज्ञान ‘दिनचर्या’ और ‘ऋतुचर्या’ की अवधारणाओं पर आधारित है। यह पादप आधारित विज्ञान है। अपने बारे में जागरूकता, सादगी और सामंजस्य से व्‍यक्ति अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखते हुए उसे और बेहतर कर सकता है। आयुर्वेद शास्‍त्रों में इस पर काफी जोर दिया गया है।

आयुष मंत्रालय श्वसन संबंधी स्वास्थ्य के विशेष संदर्भ के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और निवारक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए निम्नलिखित दिशा निर्देशों की सिफारिश करता है। ये आयुर्वेदिक साहित्य एवं वैज्ञानिक पत्र-पत्रिकाओं पर आधारित हैं।

सामान्य उपाय

  • पूरे दिन गर्म पानी पिएं।

  • आयुष मंत्रालय (#योगएटहोम #स्‍टेहोम #स्‍टेसेफ) की सलाह के अनुसार प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान का अभ्यास करें।

  •  खाना पकाने में हल्दी, जीरा, धनिया और लहसुन जैसे मसालों के उपयोग की सलाह दी जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय

  • प्रतिदिन सुबह 1 चम्‍मच यानी 10 ग्राम च्यवनप्राश लें। मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री च्यवनप्राश लेना चाहिए।

  • तुलसी, दाल चीनी, काली मिर्च, सौंठ और मुनक्‍का से बना काढ़ा/ हर्बल टी दिन में एक या दो बार लें। यदि आवश्‍यक हो तो अपने स्‍वाद के अनुसार गुड़ या ताजा नींबू का रस मिलाएं।

  • गोल्डन मिल्क- 150 मिली गर्म दूध में आधी चम्मच हल्दी पाउडर- दिन में एक या दो बार लें।

सरल आयुर्वेदिक प्रक्रियाएं

  • नाक का अनुप्रयोग – सुबह और शाम को नाक में तिल का तेल/ नारियल का तेल या घी लगायें।

  • ऑयल पुलिंग थेरेपी– 1 चम्‍मच तिल या नारियल का तेल मुंह में लें। उसे पियें नहीं बल्कि 2 से 3 मिनट तक मुंह में घुमाएं और फिर थूक दें।उसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करें। ऐसा दिन में एक या दो बार किया जा सकता है।

सूखी खांसी/ गले में खराश के दौरान

  • ताजे पुदीना के पत्तों या अजवायन के साथ दिन में एक बार भाप लिया जा सकता है।

  • खांसी या गले में जलन होने पर लवंग (लौंग) पाउडर को गुड़/ शहद के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार लिया जा सकता है।

  • ये उपाय आमतौर पर सामान्य सूखी खांसी और गले में खराश का इलाज करते हैं। लेकिन लक्षण के बरकरार रहने पर डॉक्‍टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा रहेगा।

उपरोक्त उपाय व्‍यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं। देशभर से प्रख्यात वैद्यों के नुस्‍खों के आधार पर इन उपायों की सिफारिश की गई है, क्योंकि इससे संक्रमण के खिलाफ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

उन वैद्यों में कोयम्‍बटूर के पद्मश्री वैद्य पीआर कृष्णकुमार, दिल्‍ली के पद्मभूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा, कोट्टाकल के वैद्य पीएम वारियर, नागपुर के वैद्य जयंत देवपुजारी, ठाणे के वैद्य विनय वेलंकर, बेलगांव के वैद्य बीएस प्रसाद, जामनगर के पद्मश्री वैद्य गुरदीप सिंह, हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण, जयपुर के वैद्य एमएस बघेल, हरदोई के वैद्य आरबी द्विवेदी, वाराणसी के वैद्य केएन द्विवेदी, वाराणसी के वैद्य राकेश, कोलकाता के वैद्य अबीचल चट्टोपाध्याय, दिल्‍ली की वैद्य तनुजा नेसारी, जयपुर के वैद्य संजीव शर्मा और जामनगर के वैद्य अनूप ठाकर शामिल हैं।

डिस्‍क्‍लेमर: उपरोक्त सलाह कोविड-19 के इलाज के लिए दावा नहीं करती है।