हृदय संबंधी रोगों से जागरुकता से बचा जा सकता है : प्रो. रवि कांत

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विश्व हृदय दिवस के तहत इस साल की थीम Be A Heart Hero 

एम्स उत्तराखंड के अलावा उत्तरप्रदेश व हिमांचल के सुदूरवर्ती इलाकों में ह्रदय रोगों पर दे रहा जानकारी 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

ऋषिकेश : AIIMS निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि विश्व हृदय दिवस की शुरुआत वर्ष 2000 से हुई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 तक इस दिवस को सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाया गया, जबकि वर्ष 2011 से इसका आयोजन हरसाल 29 सितंबर को किया जाता है। निदेशक एम्स ने बताया कि विश्व हृदय दिवस के आयोजन के उद्देश्य लोगों को हृदय संबंधी रोगों के प्रति सचेत करना, हृदय रोगों के पनपने के कारणों को बताना और इससे बचाव के उपायों को लेकर जागरुक करना है।

AIIMS निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने ऋषिकेश में विश्व हृदय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे ,जिसमें लोगों को हृदय रोगों के कारण, बचाव के उपाय व इसके लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा की गई। बताया गया कि जागरुकता से ही हृदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है। विश्व हृदय दिवस के तहत इस साल की थीम बी ए हार्ट हीरो रखी गई है,जिसके तहत एम्स उत्तराखंड के अलावा उत्तरप्रदेश व हिमांचल के सुदूरवर्ती इलाकों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर लोगों को हृदय रोगों के प्रति जागरुक करने के साथ ही उन्हें उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।

इस अवसर एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि विश्व हृदय संस्थान द्वारा संपूर्ण विश्व में यह प्रयास किया जा रहा है कि जन साधारण के मन में हृदय रोग से संबंधित भ्रांतियों केे दूर कर लोगों को हृदय रोगों से बचाया जाए। उन्होंने बताया कि जागरुकता से सही समय पर इन रोग की पहचान व उचित उपचार देकर लोगों को हृदय रोगों से बचाया जा सकता है। सही जानकारी नहीं होने से अक्सर मरीज इलाज के अभव में दम तोड़ देते हैं।

उन्होंने बताया कि दिल के रोग का इलाज अब संभव है और मरीज दिल के ऑपरेशन के बाद एक लंबी और खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के कॉर्डियोलॉजी व कॉर्डियक सर्जरी विभाग में हृदय रोग के उपचार को लेकर कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

बताया कि भारत में दिल की बीमारी एक गंभीर समस्या बन गई है, उन्होंने इसकी वजह एशियाई देशों में कुपोषण, बीमारी को लेकर सही जानकारी का अभाव,सामाजिक भ्रांतियां व धन का अभाव होने के साथ ही एशियाई समुदाय के लोगों में दिल की संरचना इस तरह से होती है कि उसमें दिल के रोगों की संभावना अत्यधिक रहती है,जिससे दिल जल्द ही रोगों से ग्रसित हो जाता है। ऐसे में सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण दूसरे देशों के मुकाबले दिल की बीमारी व डायबिटीज के रोगी बढ़ रहे हैं और हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

एम्स में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशन में संचालित आयुष्मान भारत योजना के तहत अब हृदय रोगियों का उपचार सुलभ हो गया है,जिससे खासकर गरीब तबके लोगों के लिए धन के अभाव में हृदय रोग का उपचार बाधा नहीं रह गया है।

एम्स के सीटीवीएस विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. नम्रता गौर ने बताया कि हम सभी को अपने प्रियजनों, मित्रों आदि को अपनी जीवनशैली, आहार में उचित परिवर्तन के लिए जागरुक करना चाहिए,जिससे वह हृदय संबंधी विकारों का शिकार होने से बच सकें।

उन्होंने बताया कि संस्थान के सोशल आउट रीच सेल द्वारा उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हिमांचल आदि राज्यों के दूरस्थ इलाकों में दिल के रोगियों के लिए शिविर आयोजित कर उन्हें जागरुक करने की मुहिम चलाने के साथ ही उन्हें उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।