देश में रोजाना 26 हज़ार टन प्लास्टिक का उत्पादन, जिसमें से 10 हज़ार टन से ज़्यादा को बटोरा ही नहीं जाता 

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Scavengers collect valuable waste at Sidoarjo garbage dump in East Java, on June 5, 2018. About eight million tonnes of plastic waste are dumped into the world's oceans every year - the equivalent of one garbage truck of plastic being tipped into the sea every minute... of every day. Over half comes from five Asian countries: China, Indonesia, the Philippines, Thailand and Vietnam, according to a 2015 study in Science journal. / AFP PHOTO / JUNI KRISWANTO

यूएनईपी की पहल प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के इरादे से दुनिया के अनेक देशों में युवाओं को इसके ख़तरों के प्रति जागरूक बना रही

टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज नामक वैश्विक पहल के ज़रिये युवाओं को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में शिक्षित किया जाता है 

एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) और उसके दुष्प्रभावों से पर्यावरण को भारी नुक़सान पहुँचता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की एक पहल प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के इरादे से दुनिया के अनेक देशों में युवाओं को इसके ख़तरों के प्रति जागरूक बनाने पर केन्द्रित है। इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए स्कूलों, समुदायों और व्यवसायों को प्लास्टिक के इस्तेमाल पर निर्भरता घटाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
भारत में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक हर दिन देश में 26 हज़ार टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें 10 हज़ार टन से ज़्यादा प्लास्टिक को बटोरा नहीं जाता। 

 संयुक्त राष्ट्र समाचार  के अनुसार यूएन पर्यावरण एजेंसी के क्लीन सीज कैंपेन (Clean Seas Campaign) के तहत संचालित टाइड टर्नर्स प्लास्टिक चैलेंज (Tide Turners Plastic Challenge) नामक इस वैश्विक पहल के ज़रिये ‘बहाव को मोड़ने वाले’ युवाओं को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में शिक्षित किया जाता है। 
साथ ही उन्हें प्लास्टिक के इस्तेमाल के प्रति अपने रवैयों में बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन्हीं बदलावों को अपने निजी जीवन में अपनाने के बाद वे फिर उनका दायरा बढ़ाकर समुदायों में भी फैला सकते हैं। 
30 जून 2020 को इस मुहिम में शामिल एक हज़ार 900 युवाओं ने भारत में एक ‘वर्चुअल युवा सम्मेलन’ में हिस्सा लिया, जिसके आयोजन का उद्देश्य ‘प्लास्टिक चैलेन्ज’ की सफलताओं की जानकारी साझा करना था। 
युवा सम्मेलन में अभिनेत्री दीया मिर्ज़ा, ग्रैमी अवॉर्ड विजेता रिकी केज और कार्टूनिस्ट रोहन चक्रवर्ती सहित कई हस्तियों ने शिरकत की और केन्या, युगांडा व घाना से भी प्रतिभागी शामिल हुए। 
दीया मिर्ज़ा ने बताया कि किस तरह वह अपने मंचों का इस्तेमाल विभिन्न लोगों तक पर्यावरण के संदेश पहुँचाने के लिए करती हैं। 
रिकी केज ने भूमि क्षरण और नाइट्रोजन प्रदूषण जैसे मुद्दों पर संगीत के सहारे जागरूकता फैलाने और कार्टूनिस्ट रोहन चक्रवर्ती ने समुद्री कचरे व अन्य पर्यावरण समस्याओं को कला के ज़रिये सामने लाने पर बात की। 
यूएन पर्यावरण एजेंसी के यूएन एंड एडवोकेसी के प्रमुख सैम बैरेट ने कहा, “यह सम्मेलन हमें ध्यान दिलाता है कि आपकी उम्र, स्थान या पेशा कुछ हो सकते हैं, दुनिया को आकार देने में हम सभी की अहम भूमिका है।” 
“भारत में रुख़ मोड़ने वालों (Tide Turners) की इस पीढ़ी ने पर्यावरणीय नेतृत्व की दिशा में अपने पहले क़दम बढ़ाए हैं।” 
उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के फलस्वरूप अपने समुदायों, स्कूलों और कम्पनियों में प्लास्टिक के इस्तेमाल सम्बन्धी आदतों को बदलने में उनका असर पड़ा है। 
इस पहल के तहत युवा प्रतिभागियों ने ज्ञान और स्व चिन्तन के स्तर पर स्कूलों में प्रशासन व व्यवसायों के साथ संवाद स्थापित किया और उन्हें एक बार इस्तेमाल की जाने वाले प्लास्टिक की खपत को घटाने के लिए प्रोत्साहित किया।
कोविड-19 के कारण ज़मीनी स्तर पर योजना के अनुरूप काम कर पाना सम्भव नहीं था लेकिन बदलाव के युवा वाहकों ने इस चुनौती को पूरा करने के लिए वर्चुअल माध्यम का सहारा लिया। 
यह पहल अफ्रीका और एशिया के 23 देशों में शुरू की गई है और अब इसे दस अन्य देशों में चलाए जाने की योजना है। 
जून 2019 से अब तक एक लाख 70 हज़ार से ज़्यादा युवा इस मुहिम में हिस्सा ले चुके हैं और इसके लिए उन्हें पूर्ण रूप से रिसायक्ल्ड यानि एक बार प्रयोग की गई प्लास्टिक को फिर से प्रयोग में लाकर बने बिल्ले (बैज) मिल रहे हैं। 
भारत में टाइड टर्नर्स का नेतृत्व यूएन पर्यावरण एजेंसी अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर करती है जिनमें वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इंडिया), सेंटर फॉर एन्वायरन्मेंट एजुकेशन(सीईई) और मिलियन स्पार्क्स फाउंडेशन शामिल हैं।