कुछ मंत्री कहीं मनमानी करने को तो नहीं उठा रहे आईएएस अधिकारियों CR लिखने की मांग

0
1140

कई बार मंत्रियों को नहीं पता होता है कि जिस काम को वे करवाना चाहते हैं वह न तो विधिसम्मत होता है और न सरकार की छवि के ही अनुकूल 

ऐसे में आईएएस के पास मंत्री के विभाग को छोड़ने के सिवा नहीं होता कोई दूसरा विकल्प 

राजेन्द्र जोशी 
देहरादून : उत्तराखंड सरकार में शामिल तीन मंत्रियों द्वारा आईएएस अधिकारियों की CR लिखे जाने की मांग पर अब मंत्रियों पर ही हमला शुरू हो गया है। राजनीतिक बुझक्कड़ों का मानना है कि यह मांग बे सिर पैर की है और कम से कम छोटे राज्यों में तो यह संभव ही नहीं जहां आईएएस अधिकारियों का टोटा पड़ा रहता है। इतना ही नहीं इनका यह भी कहना है कि इस मांग के पीछे कतिपय मंत्रियों की मनमानी भी एक मुख्य वजह हो सकती है क्योंकि कुछ आईएएस अधिकारी मंत्रियों के दबाव में नहीं आते हैं और वे उनके हिसाब से भी काम नहीं करना चाहते हैं क्योंकि कई बार मंत्रियों को नहीं पता होता है कि जिस काम को वे करवाना चाहते है वह न तो विधिसम्मत होता है और न सरकार की छवि के अनुकूल ही होता है ऐसे में आईएएस के पास मंत्री के विभाग को छोड़ने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है।
उल्लेखनीय है कि अक्सर सूबे की ब्यूरोक्रेसी को लेकर कई बार सुर्खियां बनती रहती है कि ब्यूरोक्रेसी अनियंत्रित हो गयी है और वह सरकार के नियंत्रण में नहीं है लेकिन राज्य में कतिपय मंत्रियों के आचरण को देखने से तो यह लगने लगा है कि ब्यूरोक्रेसी को आप तब अनियंत्रित कह सकते हैं जब मंत्री नियंत्रण में हों। ऐसे कई उदाहरण अब तक सामने आये हैं जब कतिपय मंत्रियों ने एक बार नहीं कई बार अपने सचिवों को बदलने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है या वे सोशल मीडिया की सुखियाँ बने हों। ऐसे ही एक मंत्री के अब तक चार -चार सचिव व अधिकारी बदले जा चुके हैं और अब पांचवे को बदलने का उन्होंने बीड़ा उठाया हुआ है।
वहीँ एक अन्य मंत्री ने तो बीते दिनों बिना विभागीय स्वीकृति और निविदा मानदंडों का पालन किये बिना ही नौ शौचालय मंगवा डाले, जिसमें एक शौचालय की कीमत लगभग साढ़े 16 लाख रुपये बताया गया है।  जबकि अभी और पांच शौचालय आने वाले हैं,ऐसे में विभाग के सामने यह समस्या आन ख़ड़ी हुई है कि वह अब इन्हे कैसे एडजस्ट करे। वहीं सीआर का मामला उठाने वाले एक अन्य मंत्री ने तो अपने विभागों में ठीक इसी तर्ज पर धींगा मुश्ती मचाई हुई है जबकि मंत्री पर कई बार यह आरोप भी लग चुके हैं कि वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज कर अपनी पूर्व पार्टी के कार्यकर्ताओं को ठेके आदि में तरजीह देते हैं।
कुल मिलाकर उत्तराखंड जैसे छोटे प्रदेश में इस तरह की मांग किये जाने को कही से उचित नहीं कहा जा सकता वह भी तब जब राज्य आईएएस अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है, जहाँ तक एक मंत्री द्वारा कहा गया कि सचिवों के पास अलग-अलग मंत्रियों के विभाग को लेकर यदि कोई तकनीकी दिक्कत है तो उनका सुझाव है कि हर मंत्री को एक सचिव दे दिया जाए। उन्होंने कहा एक सचिव के पास अलग-अलग विभाग होने से उन्हें इधर-उधर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक सचिव के पास यदि मंत्री वाले सारे विभाग हो जाएं तो इससे कार्यदक्षता में बढ़ेगी। कार्य में भी तेजी भी आएगी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो अब यह उठ खड़ा होता है कि आखिर कतिपय मंत्रियों को साढ़े तीन साल गुज़र जाने के बाद ही आखिर आईएएस अधिकारियों की CR लिखने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है, राजनितिक जानकारों का कहना है जिस दिन इन मंत्रियों ने पद व गोपनीयता की शपथ ली यदि ये उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी जी के समक्ष यह मांग उठाते तो शायद उसी दिन इनकी यह मांग पूरी हो जाती।  

[contact-form][contact-field label=”Name” type=”name” required=”true” /][contact-field label=”Email” type=”email” required=”true” /][contact-field label=”Website” type=”url” /][contact-field label=”Message” type=”textarea” /][/contact-form]