उपलब्धि : बिना बेहोश किए एम्स के डॉक्टरों ने महिला के ब्रेन का कर दिया ऑपरेशन

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  • महिला के ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी में सफलता की प्राप्त
  • मिर्गी का इलाज या तो दवाओं से या फिर सर्जरी की सहायता से है संभव

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों के दल ने उत्तरप्रदेश निवासी एक महिला के ब्रेन ट्यूमर की जटिलतम सर्जरी में सफलता प्राप्त की है। इस सर्जरी में खासबात यह रही कि महिला के सिर का जटिल ऑपरेशन चेतना अवस्था में(बिना बेहोश किए हुए) किया गया।

जटिलतम सर्जरी की इस सफलता के लिए एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने चिकित्सकीय टीम की प्रशंसा की है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में न केवल न्यूरो सर्जरी बल्कि अन्य सभी विभागों में भी ऐसी आधुनिकतम व वर्ल्ड क्लास सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो अभी तक केवल देश के गिने चुने मैट्रो शहरों के बड़े-बड़े एवं महंगे अस्पतालों में ही उपलब्ध थीं |

एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने यह भी बताया कि पहले मिर्गी की बीमारी को समाज में एक अभिशाप माना जाता था और रोगी अनावश्यकरूप से पीड़ित होते थे। लेकिन अब मिर्गी का इलाज या तो दवाओं के उपयोग से या फिर सर्जरी की सहायता से संभव है | निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स, ऋषिकेश में उत्तराखंड व समीपवर्ती राज्यों के मरीज अब अपना उपचार कराकर लाभ उठा सकते हैं।

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश निवासी अर्चना को जनवरी- 2019 के प्रथम सप्ताह में मिर्गी के दौरे का सामना करना पड़ा । उसके बाद उसके दाहिने हाथ और दाहिने पैर की क्रियाशक्ति क्षीण हो गई । साथ ही मिर्गी के दौरों से उसकी सम्भाषण क्षमता कमजोर हो गई । इस बीमारी के समाधान के लिए उन्होंने एम्स, ऋषिकेश में न्यूरो सर्जन डा. जितेंद्र चतुर्वेदी से परामर्श लिया। रोगी के परीक्षण व उसके एमआरआई के गहन विश्लेषण के बाद दाहिने हाथ व पैर की क्रिया शक्ति एवं बोलने की क्षमता को संरक्षित करने के लिए उसे एम्स ऋषिकेश में एक अत्याधुनिक न्यूरोसर्जिकल ऑपरेशन अवेक क्रेनुयोटामी (Awake Craniotomy) जागृत अवस्था में शल्य चिकित्सा कराने की सलाह दी गई ।

डा. जितेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि जागृत क्रेनुयोटामी एक विशेष प्रकार की न्यूरो सर्जरी है, जिसमें रोगी के मस्तिष्क के ऑपरेशन वाले भाग को संज्ञा शून्य करके रोगी को चेतन अवस्था में ही रखा जाता है, वजह यह है कि इससे ऑपरेशन के दौरान मरीज के अंगों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को पहचान कर उसका निदान किया जा सके । इस तीन घंटे की जटिल शल्य क्रिया के दौरान चिकित्सकीय टीम द्वारा रोगी को संख्याओं की गिनती करने और पैन तथा गेंद जैसी वस्तुओं को पहचानने और दाहिने-हाथ व पैर को हिलाने के लिए कहा गया, जबकि इस दौरान न्यूरो सर्जन महिला के ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि कम से कम समय में क्रैनियोटॉमी करते समय न्यूरो सर्जन को त्वरित और सटीक होना पड़ता है और न्यूरो-एनेस्थेसियोलॉजिस्ट को एक ही समय में जागृत लेकिन शांत और दर्द मुक्त रोगी सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।

उन्होंने बताया कि न्यूरो-एनेस्थेसियोलॉजिस्ट इस तरह की सर्जरी के वास्तविक नायक हैं। एम्स-ऋषिकेश में न्यूरो-एनेस्थिसिया विभाग की डा. प्रियंका गुप्ता और डा. आशुतोष कौशल दोनों के सहयोग से इस तरह की जटिलतम सर्जरी को अंजाम देने में सफलता मिल पाई।

उन्होंने बताया कि सर्जरी के दौरान डा. पूर्वी कुलश्रेष्ठा द्वारा की गई न्यूरो-मॉनिटरिंग एक विशेष मदद थी, जिसने रोगी पर एक सुरक्षित प्रक्रिया सुनिश्चित की । चिकित्सक ने बताया कि मरीज ऑपरेशन के तुरंत बाद चलने फिरने में पूरी तरह सक्षम थी और उसे बातचीत में भी कोई कठिनाई नहीं हुई । रोगी को ऑपरेशन समाप्त होने के बाद बाकायदा ओटी में चलाया गया।

उन्होंने बताया कि अर्चना की अवेक क्रेनुयोटामी उत्तराखंड राज्य में अब तक की पहली ऐसी शल्य चिकित्सा है, जो किसी भी सरकारी अथवा गैरसरकारी चिकित्सा संस्थान में नहीं हुई है।

डा.चतुर्वेदी के अनुसार यह सफलता न केवल एम्स निदेशक पद्श्री प्रो . डा.रवि कांत द्वारा ऑपरेशन थिएटर के अंदर और बाहर उपलब्ध कराई गई अत्याधुनिक सुविधाओं से संभव हो सका है, बल्कि ऋषिकेश एम्स संस्थान में उनकी रोगियों के प्रति सहानुभूति एवं अत्याधुनिक उन्मुख स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने की प्रेरणा का परिणाम है। उन्होंने बताया कि निदेशक प्रो. रवि कांत के कुशल व अद्वितीय नेतृत्व में एम्स ऋषिकेश चिकित्सा एवं शोध के क्षेत्र में निरंतर प्रगति एवं जनकल्याण के पथ पर अग्रसर है ।