बिना ”हाथ” के साथ के मैदान में ”मल्ल”

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देहरादून : मेरे खिलाफ कुछ लोगों द्वारा षड्यंत्र रचा गया लेकिन जनता मेरे साथ है, मैं कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं और मुझे कांग्रेस पार्टी ने अपना सिंबल दिया है। टिहरी जिले की धनोल्टी सीट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के इतिहास में इस बार एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनमोहन मल्ल पार्टी के चुनाव निशान ‘हाथ’ पर चुनाव तो लड़ेंगे। उन्हें कांग्रेस साथ नहीं मिलेगा। क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने धनोल्टी सीट पर निर्दलीय प्रीतम सिंह पंवार को समर्थन दिया हुआ है। ऐसी स्थिति में आलाकमान के विरोध के बावजूद मल्ल चुनाव मैदान में कांग्रेस के निशान पर ही वोट मांगेंगे।

गौरतलब हो कि नाम वापसी के दिन बुधवार तक कांग्रेस आलाकमान को उम्मीद थी कि मल्ल नाम वापस ले लेंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और धनोल्टी सीट का राजनीतिक पैंतरेबाजी का यह मोड़ इतिहास में दर्ज हो गया। वैसे तो धनोल्टी की प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में देशभर में पहचान है। लेकिन, इस बार धनोल्टी कुछ अन्य कारणों से चर्चा में है। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई राष्ट्रीय दल चाहकर भी अपने प्रत्याशी को चुनाव में जाने से नहीं रोक पा रहा।

धनोल्टी सीट से कांग्रेस ने मनमोहन मल्ल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन, 27 जनवरी को जब मल्ल समर्थकों के साथ नामांकन कराने नई टिहरी पहुंचे तो कांग्रेस आलाकमान ने इस सीट पर निर्दल प्रीतम सिंह पंवार को समर्थन देने का एकाएक एलान कर दिया। कांग्रेस के कार्यकर्ता हालाँकि मनमोहन मल्ल का यहाँ साथ दे रहे हैं जबकि प्रीतम पंवार यहाँ अब बिना कांग्रेस के सहारे के चुनाव मैदान में हैं।

इतना ही नहीं कांग्रेस ने साथ ही अपने प्रत्याशी मल्ल को बैठाने के संकेत भी दे दिये। लेकिन, कांग्रेस आलाकमान तकनीकी तिकड़म काम नहीं कर पाया और नामांकन के आखिरी दिन दोपहर बाद तीन बजे तक निर्वाचन अधिकारी को इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई।

अब निर्वाचन के नियमों के मुताबिक कांग्रेस के सिंबल पर ही मनमोहन मल्ल चुनाव लड़ेंगे। नाम वापसी के दिन भी कांग्रेस संगठन ने मल्ल को नाम वापसी के लिए बहुत मनाने का प्रयास किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मल्ल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का फोन नहीं तक उठाया। धनोल्टी विस के निर्वाचन अधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि मल्ल को कांग्रेस का चुनाव चिह्न ‘हाथ’ आवंटित कर दिया गया है। वह हाथ पर ही अब लड़ेंगे।