वन विभाग की लापरवाही झेल रहे विधवा और मासूम

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उपजिलाधिकारी और न्यायालय के आदेश भी नही मान रहा वन विभाग

अवनीश अग्निहोत्री

कोटद्वार। वन विभाग अपने कर्मचारियों के आश्रितों के प्रति कितना संजीदा है इसकी बानगी यदि देखनी है तो लैंसडौंन वन प्रभाग कोटद्वार में देखिए। एक मृतक आश्रित अपने नौकरी, पेंशन व अन्य भुगतान के लिए लैंसडौंन वन प्रभाग के चक्कर काट-काटकर थक गई है, लेकिन बावजूद इसके न तो विभाग उसे नौकरी ही दे पा रहा है और न ही पेंशन व अन्य भुगतान ही दे पा रहा है, जिससे आश्रिता व उसके बच्चों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

गिंवाई स्श्रोत निवासी सुरेंद्र कौर का पति श्रीचंद पुत्र फूल चंद लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार में बंगला चौकीदार/सफाई नायक के पद पर कार्यरत था।विगत 26 अक्टूबर 2013 को श्रीचंद का उपचार के दौरान मौत हो गई, मौत के उपरांत परिजनों ने विभाग में कागजी कार्यवाही शुरू कर दी। लेकिन विभाग में श्रीचंद की पहली पत्नी रीता देवी और उसके पुत्र अंकुश का नाम अंकित होने के कारण विभाग ने आश्रिता को नौकरी, पेंशन व अन्य देयकों का भुगतान करने से मना कर दिया। यहां यह भी बताते चलें कि श्रीचंद्र की पहली पत्नी रीता का उससे 7 फरवरी 1992 को तलाक हो चुका है। और रीता ने दूसरा विवाह कर लिया। रीता का पति आयकर विभाग में कार्यरत है, जबकि पुत्र अंकुश वर्तमान में नगर पालिका में कार्यरत है।

हैरत की बात तो यह है कि रीता की ओर से विभाग को इस बावत शपथ पत्र भी दिया गया है। लेकिन बावजूद इसके श्रीचंद्र की दूसरी पत्नी सुरेंद्र कौर को विभाग आश्रित मानने को तैयार नहीं है। इस बावत उप वन संरक्षक की ओर से सुरेंद्र कौर को 7 मार्च 2017 को भेजे पत्र में कर्मचारी आचरण नियमावली का हवाला देते हुए कहा गया कि पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह वैध नहीं है और उसके सेवा अभिलेखों में दर्ज व्यक्ति को ही कर्मचारी से संबंधित देयकों का भुगतान करने की बात कही है। इतना ही नहीं इस बावत बार-बार पत्र व्यवहार कर सरकारी कार्यो में व्यवधान होने की बात भी लिखी है। उपवन संरक्षक के पत्र से स्पष्ट है कि विभाग अपने कर्मचारियों के आश्रितों के प्रति कितना संजीदा है।

हैरत की बात तो यह है कि न्यायालय सिविल जज वरिष्ठ खंड में रीता देवी और सुरेंद्र कौर के बीच राजीनामा हुआ है, जिसमें श्रीचंद्र के नाम जमा संपूर्ण धनराशि रीता देवी पाने की अधिकारिणी होगी, जबकि दूसरी पत्नी सुरेंद्र कौर श्रीचंद्र को मिलने वाली पेंशन व नौकरी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी। सुरेंद्र कौर द्वारा न्यायालय के 20 सितंबर 2014 के आदेश की प्रति, रीता देवी के द्वारा प्रदान किए गए शपथ पत्र व उसके व उसके पुत्र के दस्तावेज अपने आवेदन पत्र में संलग्न किए गए है। लेकिन बावजूद इसके विभाग कर्मचारी आचरण सेवानियमावली का हवाला देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहा है।

सुरेंद्र कौर की काजल और खुशबू दोनों नाबालिग पुत्री है और पेंशन व नौकरी न मिलने के कारण सुरेंद्र कौर को दोनों बच्चों का लालन-पालन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं विभाग न्यायालय के आदेश का अनुपालन न कर न्यायालय की अवहेलना कर रहा है। इसके अलावा उपजिलाधिकारी कार्यालय से 11 नवंबर 2013 को जारी उत्तरजीवी प्रमाण पत्र में सुरेंद्र कौर और उसकी दोनों बेटियों का नाम अंकित है।

सुरेंद्र कौर की मानें तो वह पेंशन व आश्रित नौकरी के लिए विभाग के चक्कर काटकर थक गई है साथ ही इसके लिए वह राजनीतिक दलों के दर के चक्कर काट रही है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है। सुरेंद्र कौर ने उसे न्याय दिलाने की मांग उठाई है।