नैनीताल : उत्तराखंड में चुनाव से पूर्व एक निजी हवाई सेवा को शुरू करने के लिए उड्डयन नियमों में संशोधन तथा नरमी के खिलाफ दायर जनहित याचिका स्वीकार कर ली है। याचिका में कहा गया है कि यात्रियों के जान को जोखिम में डालकर जहाँ सुरक्षा प्रावधानों में शिथिलता बरती गयी है वहीँ प्रदेश सरकार पर एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह संशेाधन करने का आरोप लगाया गया है। मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की संयुक्त खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
पौड़ी निवासी राजेंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने कुछ समय पहले प्रदेश में निजी हवाई सेवा शुरू करने का फैसला लिया था। इसके तहत सुरक्षा और अनुभव को लेकर नियम-प्रावधान तय करने के बाद दिसंबर 2016 में सार्वजनिक टेंडर जारी किए गए। लेकिन कुछ समय बाद ही सरकार ने एक निजी हवाई सेवा देने वाली कंपनी के लिए नियम में संशोधन करते हुए पर्वतीय क्षेत्र में हवाई सेवा देने के अनुभव की शर्तों को हटा दिया।
याचिका में कहा गया है कि पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्र में हवाई यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह शर्त हटाना जानलेवा साबित हो सकता है। यह भी आरोप है कि एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। संयुक्त खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए सरकार से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है।