देहरादून। विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में कम आंके जाने के बाद भाजपा और कांगे्रस दोनों की ही हवाईयां उड़ी हुई हैं। हालांकि दोनों ही दल इसके बाद भी राज्य में सत्ता बनाने लायक विधानसभा सीटों पर जीत का दावा करते रहे हैं। हैरानी की बात और कड़वी सच्चाई कि प्रधानमंत्री ने जिन जिन विधानसभा सीटों पर चुनावी जनसभाएं की, वहां भी मतदान प्रतिशत उम्मीद के मुताबिक नहीं जा सका। बहरहाल उत्तराखण्ड में चुनाव के बाद अब राजनीतिक गलियारों में किसकी सरकार बनेगी यह मुख्य चर्चा का विषय बना हुआ है।
कांग्रेस-भाजपा सहित उत्तराखण्ड में तीसरी राजनीतिक ताकत बसपा के नेता हर क्षेत्र में अपने-अपने पक्ष में समीकरणों को गुणाभाग करने में लगे है। टिकट वितरण के बाद भाजपा और कांग्रेस में बगावत देखने को मिली थी। जिसके चलते कांग्रेेस भाजपा के कई बागी विभिन्न विधानसभा चुनाव में मैदान में उतर गए। जिससे कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के समीकरण बिगडऩे की आशंका जोर पकड़े हुए है। जिसे लेकर चुनाव के बाद भी राजनीतिक दलों में खलबली है।
राजनीतिक गलियारों में कई विधानसभा क्षेत्रों में बागियों की ताकत को लेकर मुख्य रूप से चर्चा हो रही है। वैसे भी बागियों ने चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के पसीने छुटाने का काम किया है। इधर हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में बसपा भी कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत से कम नहीं है। कई विधानसभा सीटों पर बसपा कांग्रेस और भाजपा के भाग्य का फैसला कर सकती है। कांग्रेस भवन हो या फिर भाजपा मुख्यालय हर सीट पर अपनी जीत के लिए राजनेता गुणाभाग कर रहे है। इतना ही नही सपा उक्रांद जैसे राजनीतिक दल खुद को कई सीटों पर मजबूत बता रहे है। सरकार कौन बनाएगा यह तो मतगणना के बाद पता चलेगा किन्तु यह अभी से तय है कि मतदान के पहले व मतदान के बाद जनता की खामोशी से राजनीतिक दलों की हवाईयां उड़ी हुई है।