निगरानी के लिए नंदा देवी पार्क क्षेत्र में लगे ट्रैप कैमरे

0
651

गोपेश्वर: सीमांत चमोली जिले में स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में तस्करों की सक्रियता के बाद पार्क प्रशासन अलर्ट हो गया है। पार्क क्षेत्र में ट्रैप कैमरों के माध्यम से रात-दिन संदिग्धों पर नजर रखने के साथ ही गश्त भी बढ़ा दी गई है। विदित हो कि शीतकाल में बर्फबारी के कारण निचले स्थानों में जंगली जानवरों के पहुंचने के बाद उनकी सुरक्षा को लेकर खासी चौकसी रखनी पड़ती है। साथ ही वन अधिकारियों के लिए तस्करों से निपटना भी चुनौतीभरा कार्य हो जाता है।

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में 79 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र आता है। इसमें 624 वर्ग किमी क्षेत्र राष्ट्रीय पार्क के अधीन है, जबकि, 82 वर्ग किमी में फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क है। शीतकाल में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क व फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क का अधिकतर हिस्सा बर्फ से लकदक रहता है। ऐसे में वन क्षेत्र में गश्त की समस्या होना लाजिमी है। वन्य जीवों के अंगों के तस्कर भी इस दौरान खासे सक्रिय रहते हैं। राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में पहले भी कई बार तस्करों को दबोचा जा चुका है।

स्थानीय लोगों की मानें तो बर्फबारी के बाद जंगली जानवर घुरड़, भालू, गुलदार, स्नो लेपर्ड, कस्तूरा आदि निचले क्षेत्रों में आ जाते हैं। ऐसे में तस्करों के निशाने पर ये वन्यजीव रहते हैं। इसी को देखते हुए वन विभाग ने इस बार राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र से हटकर संदिग्ध स्थानों पर ट्रेप कैमरे लगाए हैं। कैमरे ऐसे गोपनीय स्थानों पर लगाए गए हैं, जहां से होकर बफर जोन में प्रवेश किया जा सकता है। कर्मचारियों की कमी के चलते ये कैमरे तस्करों पर नजर रखने के लिए वरदान भी साबित हुए हैं। साथ ही वन्य प्राणियों की गणना में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अधिकारियों ने औली, मलारी वैली व फूलों की घाटी में दो-दो, कागभुसंडि क्षेत्र व हनुमानचट्टी क्षेत्र में एक-एक ट्रेप कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों की मॉनीटरिंग हर 15 दिन में की जाती है। वन अधिकारी गश्त के दौरान कैमरों की जांच कर जंगल की गतिविधियों का पता लगाते हैं। ये कैमरे बारिश व बर्फबारी में भी अपना काम करते हैं। खासकर रात के अंधेरे में भी ये साफ तस्वीर खींच लेते हैं।

राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र में कर्मचारियों की भारी कमी बनी हुई है। फॉरेस्ट गार्ड के 102 पदों के सापेक्ष 66 ही तैनात हैं। जबकि, डिप्टी रेंजर के चार पद खाली हैं। हालांकि, शीतकाल में तस्करों से निपटने के लिए पार्क प्रशासन की ओर से महीने में दो के बजाए चार बार गश्त कराई जा रही है। अधिकारी स्वयं भी गश्त कर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।

चमोली स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने बताया कि शीतकाल में बर्फबारी के बाद जंगली जानवर निचले स्थानों पर आ जाते हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। इसी को देखते हुए कैमरों से जंगलों पर नजर रखी जा रही है।