तीर्थ पुरोहित दिखायेंगे केदारनाथ में मोदी को काले झंडे 

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  • -व्यापारियों को हटाये जाने से तीर्थ पुरोहित समाज में आक्रोश 
  • -प्रशासन की कार्रवाई को बताया गलत, डेढ़ सौ व्यापारी हुए बेरोजगार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
रुद्रप्रयाग । केदारनाथ मंदिर पैदल मार्ग पर लगायी गई दुकानों को हटाये जाने से तीर्थ पुरोहित समाज एवं व्यापारियों में खासा आक्रोश बना हुआ है। इन दुकानों को हटाये जाने के बाद डेढ़ सौ लोग बेरोजगार हो गये हैं। बेरोजगार व्यापारियों एवं तीर्थ पुरोहित समाज ने प्रशासन की कार्रवाई का घोर विरोध किया है और आगामी माह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ आगमन पर काले झंडे दिखाकर विरोध जताने का निर्णय लिया है। 
दरअसल, केदारनाथ मंदिर पैदल मंदिर से अस्थाई तौर पर दुकानों का संचालन कर रहे व्यापारियों को प्रशासन ने हटा दिया है। इन दुकानों से केदारनाथ मंदिर पैदल मार्ग की शोभा बनी रहती थी और धाम में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान की जाती थी, लेकिन प्रशासन ने अपना डंडा चलाकर जबरन दुकानों को हटा दिया है। ऐसे में डेढ़ सौ से अधिक व्यापारी बेरोजगार हो गये हैं। बेरोजगार व्यापारियों को तीर्थ पुरोहित समाज का पूर्ण समर्थन मिल रहा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध जताया जा रहा है। तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, कुबेरनाथ पोस्ती, लक्ष्मीनारायण जुगराण ने कहा कि केदारनाथ मंदिर पैदल मार्ग को पचास फीट चैड़ा किया गया है और चैड़े मार्ग का कोई फायदा नहीं है। मार्ग के चैड़े होने का फायदा व्यापारियों को मिलना चाहिए था। धाम के सामने पूजा की दुकाने होनी जरूरी है, मगर शासन-प्रशासन ने दुकानों को हटा दिया है। ऐसा करना से आपदा पीड़ित व्यापारी बेरोजगार हुए हैं। पिछली सरकार ने जहां बेरोजगारों को रोजगार दिया, वहीं नयी सरकार ने उन्हें बेरोजगार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ये सरकार बेरोजगारों के हितों को लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है, जबकि जो लोग रोजगार कर भी रहे हैं उन्हें किसी न किसी तरह परेशान किया जा रहा है। कहा कि पैदल मार्ग को चैड़ा करने से तीर्थयात्रियों को कोई फायदा नहीं मिला है, जबकि प्रशासन ने व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया है। उन्होंने कहा कि पहले पैदल मार्ग तीस फीट चैड़ा था और व्यापारियों की दुकाने लगी रहती थी, लेकिन तीर्थयात्रियों को कोई दिक्कत नहीं होती है और अब तो मार्ग को पचास फीट चैड़ा किया गया है तो तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों को असुविधा की बात कहकर प्रशासन अपनी मनमर्जी करने में उतारू है, जो मन में आया धाम में काम किया जा रहा है। पुरोहित समाज को बिना विश्वास में लिये ही कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्षों से तीर्थ पुरोहित भगवान भोले की सेवा में जुटे हुए हैं और वर्ष 2013 की आपदा के बाद शासन-प्रशासन से लेकर केन्द्र सरकार अपनी मनमर्जी करके धाम को अपवित्र कर रहे हैं। पिछले वर्ष देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ आये और पैदल मार्ग को चैड़ा करने की बात कही। इसके अलावा अन्य घोषणाएं भी की, जिनका केदारनाथ के विकास में कोई योगदान नहीं है। उन्होंने कहा कि पैदल मार्ग को चैड़ा कर व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया गया है। पहले ही केदारघाटी के युवा व्यापारी रोजगार को लेकर भटक रहे हैं, ऊपर से उनका रोजगार छिनकर उन्हें बेरोजगार किया जा रहा है।
तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार में व्यापारियों को रोजगार मिला और नयी सरकार ने आपदा पीड़ितों को रोजगार से वंचित कर दिया है। पैदल मार्ग निर्माण के दौरान कहा गया था कि तीस फीट रास्ता बनाया जायेगा और दस-दस फीट पर व्यापारियों को दुकाने खोले जाने की अनुमति दी जायेंगी, लेकिन व्यापारियों से किया गया वायदा झूठा साबित हुआ है। व्यापारी गौरव तिवारी, हिम्मी तिवारी, प्रशांत सेमवाल ने कहा कि केदारनाथ में आई आपदा से पहले ही घाटी की जनता प्रभावित हो चुकी है। किसी तरह व्यापारियों ने छोटा सा रोजगार मंदिर मार्ग पर तैयार किया। पिछली सरकार व्यापारियों के हितों की सोची, मगर नयी सरकार अपनी मनमर्जी कर रही है। देश के प्रधानमंत्री बेरोजगार के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अपने फायदे के लिए व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। ऐसे में व्यापारियों में प्रशासन-शासन के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है। तीर्थ पुरोहित समाज को साथ लेकर व्यापारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन पर काले झंडे दिखाकर विरोध जतायेंगे। अगर जल्द से जल्द व्यापारियों को पुनः मंदिर मार्ग पर दुकान खोले जाने की अनुमति नहीं मिली तो व्यापारी डबल इंजन की सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए बाध्य हो जायेंगे।