वीर सपूत केशरीचंद का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में वर्णित रहेगा : कुलानंद जोशी

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2011
  • अमर शहीद केशरीचंद की 98वें जन्मोत्सव पर दिल्ली में विचार गोष्ठी

जगमोहन ‘आज़ाद’

नयी दिल्ली : हिंद सिपाही केशरीचंद का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में वर्णित रहेगा। उन्होंने आजादी की लड़ाई में उत्तराखंड के जौनसार बावर का ही नहीं बल्कि देश का नाम भी गर्व से ऊंचा किया। उक्त विचार पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी कुलानंद जोशी ने अमर शहीद केशरीचंद की 98वें जन्मोत्सव के मौके आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवों के साथ-साथ देशभक्तों की भूमि है। यहां देश जान न्योछावर करने वालों की कमी नहीं है। यह उनके लिए गौरव की बात है कि वह उत्तराखंड के रहने वाले हैं।

कुलानंद जोशी ने कहा कि केशरीचंद को मात्र 24 साल 6 महीने की उम्र में अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुना दी थी। आज उत्तराखंड में केशरीचंद का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है और दिल्ली में पहली बार इनके जन्मदिन को मनाया जा रहा है। यह बहुत ही सम्मान की बात हैं। हमें ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को सदैव याद करते रहना चाहिए। ‘दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट’ के सभागार में आयोजित इस गोष्ठी में शहीद केशरीचंद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस गोष्ठी का आयोजन ‘दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट’,‘जौनसार बावर ट्राइबल वेलफेयर सोसायटी दिल्ली’ और ‘उत्तराखंड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली’ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

अमर शहीद केशरीचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कुलानंद जोशी जी ने कहा कि केशरीचंद में बचपन से ही देश के प्रति सहास और पराक्रम की भावन थी। मात्र 24 साल का यह युवा आजादी की उस लड़ाई में शामिल था। जिसके मार्गदर्शक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी थे। जब सुभाष चन्द्र जी ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की तो उत्तराखण्ड के अधिसंख्य रणबांकुरों ने इस सेना की सदस्यता लेकर देश रक्षा करने की ठानी और इसी लीक से जुड़ा नाम हैं,जौनसार बावर के वीर सपूत शहीद केशरी चन्द का। जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में अपने प्राणो की आहूति देकर अपने साथ-साथ जौनसार और उत्तराखण्ड का नाम राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास में स्वर्णिम शब्दों में अंकित करा दिया। ऐसे वीर सपूत को आज हम याद कर रहे हैं,यह हम सब के लिए गर्व की बात है।

इस मौके पर उपस्थित अणुव्रत सोसाइटी के प्रेरक रमेश कांडपाल ने शहीद केशरीचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा की आज का दिन बहुत की गर्व करने का दिन हैं और इसका मौका हमें दिया हैं। वीर केशरीचंद जी ने,इसलिए आज हम ऐसे व्यक्ति का जन्मोत्सव मना रहे है। जिनका नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्सरों में अंकित हैं,और ऐसे व्यक्ति सदियों में एक बार पैदा होते है। यह हम सबके लिए सौभाग्य की बात हैं कि अमर शहीद केशरीचंद जी का जन्म हमारे उत्तराखंड में हुआ है। लेकिन हम सब को यह भी संज्ञान लेने की आवश्यकता हैं कि हम सब उनके जीवन से प्रेरणा लेकर कुछ ऐसा करें की हमारी आने वाली पीढ़ियां इससे प्रेरणा लेकर उत्तराखंड का नाम रोशन करें। क्योंकि यह हम सब के लिए श्रेयकर हैं कि उत्तराखंड का एक 24 वर्ष का युवा सैनानी हम सब की आजादी के लिए ऐसा कुछ कर गया की आज हम सब मिलकर उनको याद कर रहे है।

इस मौके पर विशेष तौर पर मौजूद डीएवीपी के निदेशक रमेश जोशी ने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में आज के समय में वीर सपूत केशरीचंद को याद किया जा रहा हैं। इसके लिए हम सब समाज सेवी डाक्टर विनोद बच्छेती का आभार प्रकट करते है। मैं इस मौके पर यह जरूर कहना चाहूंगा की हम उस क्षेत्र से हैं जिसे देवों और वीरों की भूमि के नाम से जाना जाता हैं,और अब हमारा यह कर्त्वय बनता हैं कि हम इन देवों और वीरों की गाथाओं से अपने आने वाली पीढ़ी को अवगत करा उन्हें इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। यह सही अर्थों में हमारे वीर सपूतों को श्रद्धांजलि होगी। जोशी जी ने वीर सपूत केशरीचंद पर लिखी कविता की कुछ पंक्तियां सुनाकर सभागर में मौजूद प्रबुद्धजनों में जोश भर केशरीचंद को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट’ के निदेशक विनोद बच्छेती ने इस मौके पर शहीद केशरीचंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमें अपने शहीदों को सही अर्थों में श्रद्धांजलि देनी हैं तो हमें उनके आदर्शों पर चलना होगा। उनकी वीरता की गाथाओं को जानना-समझना होगा। ताकि हम ऐसे सैनानियों के जीवन और विचारों से प्रेरणा लेकर नये भारत के निर्माण में कुछ सहयोग कर सकें। इस मौके पर डाक्टर बच्छेती ने हर वर्ष शहीद केशरीचंद जन्मोत्सव मानने और जौनसार बावर में भाषा-कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वालों लोगों को 21 हजार के नगद पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की,साथ ही उन्होंने कहा की हमें आज के दौर में अपने वीरों का मान-सम्मान तो करना ही हैं,साथ ही अपनी भाषा-बोली के संरक्षण की दिशा में भी काम करना है। डाक्टर बच्छेती ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए इंद्र सिंह नेगी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज दिल्ली में केशरीचंद जन्मोत्सव मनाया जा रहा हैं। जिसका श्रेय सीधे तौर पर इंद्र सिंह नेगी जी को जाता हैं। क्योंकि उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बहुत कम समय में जो कोशिश की वह निश्चित तौर पर सफल हुई,जिसके साक्षी आज यहां मौजूद सभी प्रबुद्धजन हैं। इस आयोजन के लिए मैं अपनी तरफ से विशेष तौर पर इंद्र सिंह नेगी जी का आभार प्रकट करता हूं।

गढ़वाली लेखक-कवि दिनेश ध्यानी ने इस मौके पर वीर केशरीचंद का जीवन परिचय देते हुए बताया की केशरीचंद जी का जन्म 1 नवम्बर, 1920 को जौनसार बावर के क्यावा गांव में पं० शिवदत्त के घर पर हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा विकासनगर में हुई, 1938 में डी०ए०वी० कालेज, देहरादून से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण कर इसी कालेज मे इण्टरमीडियेट की भी पढ़ाई जारी रखी। केसरी चन्द जी बचपन से ही निर्भीक और साहसी थे, खेलकूद में भी इनकी विशेष रुचि थी, इस कारण वे टोलीनायक रहा करते थे। नेतृत्व के गुण और देशप्रेम की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। देश में स्वतन्त्रता आन्दोलन की सुगबुगाहट के चलते केशरीचन्द पढ़ाई के साथ-साथ  सभाओं और कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहते थे।  इण्टर की परीक्षा पूर्ण किये बिना ही केशरीचन्द जी 10 अप्रैल, 1941 को रायल इन्डिया आर्मी सर्विस कोर में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हो गये। उन दिनों दृतिया विश्व युद्ध जोरों पर चल रहा था, केशरीचन्द को 29 अक्टूबर, 1941 को मलाया के युद्ध के मोर्चे पर तैनात किया गया। जहां पर जापानी फौज द्वारा उन्हें बन्दी बना लिया गया, केशरीचन्द जी ऐसे वीर सिपाही थे, जिनके हृदय में देशप्रेम कूट-कूटकर भरा हुआ था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के नारे से प्रभावित होकर यह आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गये। इनके भीतर अदम्य साहस, अद्भुत पराक्रम, जोखिम उठाने की क्षमता, दृढ संकल्प शक्ति का ज्वार देखकर इन्हें आजाद हिन्द फौज में  जोखिम भरे कार्य सौंपे गये, जिनका इन्होंने कुशलता से सम्पादन किया। 

इम्फाल के मोर्चे पर एक पुल उड़ाने के प्रयास में ब्रिटिश फौज ने इन्हें पकड़ लिया और बन्दी बनाकर दिल्ली की जिला जेल भेज दिया। वहां पर ब्रिटिश राज्य और सम्राट के विरुद्ध षडयंत्र के अपराध में इन पर मुकदमा चलाया गया और मृत्यु दण्ड की सजा दी गई। मात्र 24 वर्ष 6 माह की अल्पायु में यह अमर बलिदानी 3 मई, 1945 को आततायी ब्रिटिश सरकार के आगे घूटने न टेककर हंसते-हंसते ’भारतमाता की जय’ और ’जयहिन्द’ का उदघोष करते हुये फांसी के फन्दे पर झूल गया।  

अमर शहीद केशरीचंद की 98वें जन्मोत्सव विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं चिंतक इंद्र सिंह नेगी ने इस आयोजन के लिए डीपीएमआई के निदेशक डाक्टर विनोद बच्छेती का आभार प्रकट करते हुए कहां की यह हम सब के लिए सौभाग्य की बात हैं की आज डाक्टर बच्छेती जी के अथक प्रयास एवं ‘जौनसार बावर ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी’ के सहयोग से हम अमर शहीद केशसीचंद जी को दिल्ली शहर में याद कर रहे है। नेगी जी केशरीचंद जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि वीर केशरीचन्द की शहादत ने न केवल भारत वर्ष का मान बढ़ाया, वरन उत्तराखण्ड और जौनसार बावर का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। भले ही उनकी शहादत को सरकारों ने भुला दिया हो, लेकिन उत्तराखण्ड के लोगों ने उन्हें और उनकी शहादत को नहीं भुलाया। उनकी पुण्य स्मृति में आज भी चकराता के पास रामताल गार्डन (चौलीथात) में प्रतिवर्ष एक मेला लगता है, जिसमें हजारों-लाखों लोग अपने वीर सपूत को नमन करने आते हैं। जौनसारी लोक गीत ’हारुल’ में भी इनकी शहादत को सम्मान दिया जाता है। आज डाक्टर विनोद बच्छेती जी ने अमर शहीद केशरीचंद जे जन्मोत्सव के मौके पर हर वर्ष  जौनसार बावर में भाषा-कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वालें लोगों को 21 हजार के नगद पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा,यह हम सब के लिए सम्मान की बात हैं। इसके लिए हम बच्छेती जी का आभार प्रकट करते है।

इस मौके पर विशेष तौर पर मौजूद अमर शहीद केशरीचंद जी की पोती अमिता शर्मा ने कहां की हम अपने आपको बहुत गौरवान्वित महसूस करते रहे हैं कि केशरीचंद जी हमारे दादा जी थे। हमारी कोशिश रहती हैं कि हम दादा जी आदर्शों को हमेशा खुद में जीवित रखें। आज आप लोगों ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया हैं। इसके लिए हम सह-परिवार आप सभी के हृदय से आभारी हैं।

इस मौके माया राम शर्मा,संरक्षक जौनसार बावर ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी एवं रमेश हितैषी,सुवर्ण रावत,दर्शन सिंह रावत,शशि मोहन रवांल्टा,सुल्तान सिंह तोमर,सुभाष तराण,संजय शर्मा,अखिलेश शर्मा,सुरेंद्र शर्मा,तारादत्त जोशी,जौनसारी लोक गयाक खजानदत्त शर्मा,सुनीता शर्मा,डाक्टर पदम सिंह नेगी,विद्या दत्त जोशी और संघ प्रचारक उत्तराखंड सुनील सहित देश भर से तमाम प्रबुधजन इस गोष्ठी में मौजूद थे। जौनसार बावर ट्राइबल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष राजपाल सिंह रावत ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया।