देहरादून : गरीब क्रांति अभियान द्वारा आयोजित गोष्ठी में चकबंदी से समृद्ध पहाड़ का संदेश दिया गया। लोगों को स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम के दौरान चकबंदी पर आधारित एक गीत भी जारी किया गया।
प्रेस क्लब में चकबंदी दिवस पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्र में कृषि एवं औद्यानिक विकास पर चर्चा की। जिसमें चकबंदी को पहाड़ की समृद्धता का मुख्य आधार बताया गया। मुख्य अतिथि बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने कहा कि गांवों में कृषि, पशुपालन की उन्नति सुनिश्चित करनी होगी। पूर्व महाप्रबंधक नाबार्ड डा.बीपी नौटियाल ने कहा कि चकबंदी के लिए पर्वतीय क्षेत्र के हर ब्लॉक में युद्ध स्तर पर काम की जरूरत है।
स्वैच्छिक चकबंदी के बगैर बात नहीं बनेगी। सामाजिक कार्यकर्ता द्वारिका सेमवाल ने कहा कि शहरों में गांवों के लिए बाजार उपलब्ध कराना होगा। निर्मल तोमर ने पलायन को रोकने, रतन सिंह असवाल ने पर्यटन के विकास पर ध्यान देने का सुझाव दिया। गरीब क्रांति के संयोजक कपिल डोभाल ने चकबंदी के काम को धरातल पर लाने, मॉडल बनाकर काम शुरू करने, प्रचार-प्रसार पर ध्यान देने का सुझाव दिया। रमेश दत्त उनियाल ने चकबंदी के कानूनी पहुलुओं पर विचार रखे। पूर्व बंदोबस्त अधिकारी कुंवर सिंह भंडारी, कल्याण सिंह रावत मैती ने भी विचार रखे। मौके पर शंकर भाटिया, प्रदीप कुकरेती, स्वामी दर्शन भारती, नीता कुकरेती, तीरथ सिंह राही, अखिलेश बुडाकोटी, टीनू पंत, विवेक नैथानी, मनीष भट्ट, रविन्द्र जुगरान, समर भंडारी, हरिशंकर नेगी, चंदन सिंह नेगी भी मौजूद थे।
चकबंदी को लेकर जारी हुआ गीत सुरेश काला ने गाया है। जिसे लिखा है नीरू भदूला बटोही ने, निर्माता मोहिनी ध्यानी पटनी व संगीतकार सुनील पटनी हैं। इस गीत के बोल, वर्षों से सोई किस्मत को फिर से जगाएंगे..है। गरीब क्रांति अभियान के कार्यकर्ताओं के अनुसार ये गीत उनके आंदोलन को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
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