गढ कुमाऊ एकता परिषद के गीत नृत्य की भव्य प्रस्तुति से ”कौथिग ” की पांचवी शाम सजी

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वेद विलास उनियाल / मयंक आर्य 

नवी मुम्बई  : – कौथिग में गढ कुमाऊ परिषद के सौंजन्य से कल गींत संगीत का आकर्षक प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने बेडू पाको बार मासा, मेरा उत्राखंड महान , फूल्यडया जैसे गीत नृत्य पर समा बांधा। वहीं पहाडी जनमानस अपने बीच गीताराम कौंसवाल की गायन कला से अभिभूत हुई। गीताराम कौंसवाल ने ए कांची मेरी रामकला और स्याली उदिना के गीतों पर लोग देर तक थिरकते रहे। नई गायिका सीमा पंगरियाल ने सुनाया भलु लगदू मेरु बुरांश कू पाणी । नवीन रावत ने गाया रानीखेत की मेरी हिमली बांदा ।

कौथिग के दस वर्ष के पूरे होने पर इस बार कौथिग का आयोजन दस दिन तक है। कौथिग के इस आयोजन के लिए उत्तराखंड़ और दूसरे इलाकों से कलाकार , विशिष्ट हस्तियां समारोह में आ रही है। लेकिन चुनाव आचार संहिता और उसकी सरगर्मियों के चलते इस बार नेता आयोजन में नहीं आए । कौगिग का समां बंधा है। दीपा नगरकोटी के पहाड की चेली छो मी गीत पर भी लोग थिरकते रहे।

आयोजन के शुरुआत नंदा देवी की पूजा से शुरू हुई। इसके साथ ही सांस्कृतिक आयोजन की शुरुआत हुई। उत्तराखंड अपर निदेशक सुधीर नौटियाल ने इस अवसर प कहा कि उत्तराखंड से बाहर इस तरह के आयोजन का अपना महत्व है। कोशिश की जा रही है कि इस तरह के आयोजनों की श्रखला को देश भर में फैलाया जाए। उत्तराखंडी समाज देश के हर बडे शहरों में अपनी रचनात्मकता के साथ है और उसका अपना एक परिचय है। उत्तराखंडी  समाज ने अपनी हर जगह पहचान बनाई है। पहाडी साज ढोल दमऊ और मशकबीन के स्वरों की लहरियां चारों ओर गूंजी। आयोजन में पहाडी समाज के अलावा मुंबई के लोग भी आते रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन दिनेश बिष्ट और केशर विष्ट ने किया। मुंबई उत्तराखंड कौथिग में लोगों ने पहाडी व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठाया। झंगोरे की खीर मूले की थिचोणी कोदे की रोटी, पहाडी रायता, जैसे व्यंजनों की खुशबू तैरती रही।